सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर आज मनाया जाएगा भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणी विवाहोत्सव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 25 अगस्त 2024

सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर आज मनाया जाएगा भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणी विवाहोत्सव

  • भगवान के साथ बनाया हुआ रिश्ता अमर हो जाता है-पंडित शिवम मिश्रा

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सीहोर। जब गोपियों को अभिमान हुआ तो भगवान श्री कृष्ण उन्हें छोड़कर चले गए। ठीक उसी प्रकार जब हमें किसी वस्तु का अभिमान हो जाता है तो भगवान उसे छीन लेते हैं। अगर रिश्ता बनाना ही है तो प्रभु के साथ बनाए। भगवान के साथ बनाया हुआ रिश्ता अमर हो जाता है। जब हम पर संकट आते हैं तो भगवान उस रिश्ते को निभाने के लिए हमारे पास खड़े रहते हैं और हमारी सहायता करते हैं। जिस प्रकार अबोध बालक का अपनी मां के प्रति प्रेम निस्वार्थ होता है। उसी तरह हमारा प्रेम भी प्रभु के लिए निस्वार्थ होना चाहिए। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी संगीतमय सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिवस पंडित शिवम मिश्रा ने कहे। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। लोग संसार व सांसारिक रिश्तों में ही उलझ कर रह जाते हैं जबकि सारे नाते खिलौने के समान है। हम आए हैं ईश्वर के यहां से और वापस भी हमें वही जाना है। यही बात सत्य है। इसलिए रिश्ता बनाओ तो भगवान के साथ बनाओ क्योंकि भगवान के साथ बनाया गया रिश्ता अमर होता है। संकट आने पर प्रभु ही हमारी रक्षा करते हैं।


भगवान श्री कृष्ण की गोवर्धन लीला का वर्णन किया

रविवार को कथा के पांचवे दिन पंडित श्री मिश्रा ने भगवान श्री कृष्ण की गोवर्धन लीला का वर्णन किया। गोवर्धन पूजा करने के साथ वहां भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाकर आरती भी की गई। इस अवसर पर श्रद्धालु मौजूद रहे और कथा श्रवण की। हमें कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। इंद्र के अभियान को नष्ट करने के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की पूजा-अर्चना कराई थी। मनुष्य जब अच्छे काम करता है तो पूरी सृष्टि की शक्ति उसका साथ देती है और उसे सफल बनाती है। छल और छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। इसे भगवान भी स्वीकार नहीं करते। भागवत कथा में जीवन का सार मौजूद है केवल आवश्यकता है कि सभी उसे ध्यान से सुनें। इससे मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है। भागवत कथा सुनना प्रेतयोनि से मुक्ति दिलाता और इससे मनुष्य के सभी क्लेश दूर होते हैं। कृष्ण की लीला थी कि इंद्र को भी मजबूर कर दिया, उनके ओर से अपनी लीला से जगत का ना सिर्फ पालन किया गया, बल्कि जगत को जीवन जीने की कला भी सिखाई और आज श्रीमद् भागवत में जीवन का सार सम्माहित है। वहीं भागवत को सुनने और समझने की आवश्यकता है, इससे जीवन में परेशानी और कठिनाई दूर हो जाती है। इंद्र के अभियान को नष्ट करने के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की पूजा-अर्चना कराई थी।

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