आजादी की 78वींवर्षगांठ के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया. साथ ही अपने संबोधन में अपने मंसूबों को साझा करते हुए साफ किया, सरकार अपने हर वादे पूरा करेगी। उसके एजेंडों में चुनावों में सीटें कम होने का असर नहीं डाल पायेंगी। भावी चुनौतियों पर भी खुलकर बात करते हुए संदेश देने का प्रयास किया, राष्ट्रीय मद्दों के आगे वो नहीं झुकेंगे। चाहे वो यूनिवर्सल सिविल कोड, रिफॉर्म हो या बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा या भ्रष्टाचार व परिवारवाद हो या शिक्षा हर मुद्दो पर काम करेंगे। बता दें, जब 2019 में मोदी ने दूसरी बार सत्ता संभाली थी उसी साल उन्होंने कई फैसलों ऐसे लिए थे जो आम तौर पर सरकारें चुनवी मौसम में लिया करती हैं. जाहिर है इस बार के लाल किले के भाषण से भी ऐसा लग रहा है कि अगले 6 महीने राजनीतिक रूप से देश के लिए बहुत खास रहने वाला है। मतलब साफ है कि अगले छह महीनों के अंदर आर्थिक सुधार से लेकर कानूनी सुधार जैसे यूसीसी, वक्फ बोर्ड बिल आदि पर बहुत तेजी से काम होना है। ‘विकसित भारत 2047’ सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं बल्कि इसके पीछे कठोर परिश्रम जारी है और देश के सामन्य जन से सुझाव लिए जा रहे हैं
जहां तक परिवारवाद व भ्रष्टाचार का सवाल है तो पीएम ने अपने भाषण में कहा कि हमने व्यापक रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जंग छेड़ा है. मैं जानता हूं कि इसकी कीमत मुझे और मेरी प्रतिष्ठा को चुकानी पड़ती है. लेकिन राष्ट्र से बड़ी मेरी प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है. उनका सीधा इशारा यही था कि जनता द्वारा चुने गए नेताओं को जेल भेजने के चलते विपक्ष उनपर लगातार तानाशाह होने का आरोप लगता रहा है. पर इसके बावजूद वो रुकने वाले नहीं है. इसके साथ यह भी स्पष्ट हो गया है कि सीबीआई और ईडी अपने हिसाब से काम करती रहेगी. अगर विपक्ष या आम जनता यह सोच रही है कि अब भ्रष्टाचार के मामलों में एक्शन लेने से सरकार रुक जाएगी तो यह गलत सोच रहे हैं. चाहे वो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हों या झारखंड के मुख्मंत्री हेमंत सोरेन कानून अपना काम करेगा. सरकार दबाव में आने वाली नहीं है. ईडी और सीबीआई पर किसी भी तरह का शिकंजा नहीं कसने जा रही है सरकार. ये दोनों संस्थान पूर्ववत काम करते रहेंगे. उन्होंने आगे कहा कि समाज जीवन में उच्च स्तर पर एक परिवर्तन आया है, वो सबसे बड़ी चुनौती और चिंता है. क्या कोई कल्पना कर सकता है कि मेरे ही देश में इतना महान संविधान होने के बावजूद कुछ ऐसे लोग निकल रहे हैं, जो भ्रष्टाचार का महिमामंडन कर रहे हैं, खुलेआम भ्रष्टाचार का जय-जयकार कर रहे हैं. पीएम नरेंद्र ने कहा, “समाज में इस प्रकार के बीजे बोने का जो प्रयास चल रहा है, भ्रष्टाचारियों की स्वीकार्यता बढ़ाने का जो निरंतर प्रयास चल रहा है, वो समाज के लिए बह.बहुत बड़ी चुनौती और चिंता का विषय बन गया है. अगर भ्रष्टाचार का महिमामंडन होता है, तो जो भ्रष्टाचार नहीं करता है उसको भी लगता है कि ये तो समाज में प्रतिष्ठा का रंग बन जाता है.
पीएम मोदी ने अपने भाषण में एक बात और स्पष्ट कर दी है कि विपक्ष चाहे जितना विरोध कर ले रिफॉर्म्स जारी रहेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने बड़े रिफॉर्म्स को जमीन पर उतारा है. चाहे गरीब हो, मिडिल क्लास हों, वंचित लोग, बढ़ती शहरी आबादी हो, नौजवानों.के सपने हों, उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए हमने रिफॉर्म का रास्ता चुना. इन रिफॉर्म्स के लिए जो हमारी प्रतिबद्धता है वो किसी पिंक पेपर के एडिटोरियल के लिए सीमित नहीं है. हमारे रिफॉर्म्स की ये प्रतिबद्धता है कि वो चार दिन की वाहवाही के लिए नहीं, हमारे रिफॉर्म्स की प्रतिबद्धता किसी मजबूरी में नहीं बल्कि देश को मजबूती देने के इरादे से हैं. रिफॉर्म का हमारा मार्ग एक प्रकार से ग्रोथ का ब्लू प्रिंट बना हुआ है. ये बदलाव हमने राजनीति मजबूरी की वजह से नहीं किया है. नेशन फर्स्ट हमारा संकल्प है. राष्ट्रीय समीक्षा की भावना साथ हो तो किसी भी बड़ा को आसानी से किया जा सकता है। रोजगार और परीक्षाओं में पेपर लीक के मुद्दे पर युवा वर्ग ने बीजेपी को कम वोट दिया. शायद यही कारण है कि सरकार अब शिक्षा और रोजगार पर बहुत काम करने जा रही है. मोदी ने ग्रीन एनर्जी से रोजगार मिलने, नालंदा स्प्रिट का विकास करने और 75 हजार मेडिकल सीटों को बढ़ाने की बातें कहीं. मतलब साफ था कि कहीं न कहीं उन्हें युवा वर्ग के लिए कल्याण के लिए कुछ कदम उठाने हैं. उन्होंने कहा, बिहार में गौरव का इतिहास रहा है, यहां हमने नालंदा यूनिवर्सिटी का पुर्ननिर्माण किया है. नालंदा यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर से काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन हमें शिक्षा के क्षेत्र में फिर से एक बार सदियों पुरानी उस नालंदा स्पिरिट को जगाना होगा. नालंदा स्पिरिट को जीना होगा, उस नालंदा स्पिरिट को लेकर के बड़े विश्वास के साथ विश्व की ज्ञान की परंपराओं को नई चेत.ना देने का काम करना होगा. मतलब साफ है कि सरकार चाहती है कि हम विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थानों की स्थापना करें. पड़ाई रोजगार परक हो.
देश का विकास और तरक्की की रफ्तार इतनी हो कि कोई भी बेरोजगार न हो. पीएम मोदी ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें गंभीरता से सोचना होगा। हमारी माताओं, बहनों, बेटियों के प्रति जो अत्याचार हो रहे हैं उसके प्रति जन सामान्य का आक्रोश है। इसे देश को, समाज को, हमारी राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो। राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो, ये समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है। प्रधानमंत्री मोदी ने को कहा कि अगले पांच वर्षों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए 75 हजार नई सीटें सृजित की जाएंगी। विकसित भारत के साथ ही हमें स्वस्थ भारत बनाना होगा। मोदी ने कहा कि हमने पिछले 10 साल में मेडिकल सीटों को करीब करीब एक लाख कर दिया। हर साल 25 हजार युवा मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। वे ऐसे-ऐसे देशों में जाते हैं कि मैं सुनकर हैरान रह जाता हूं। उन्होंने घोषणा की कि हमने तय किया है कि अगले पांच साल में मेडिकल लाइन में 75 हजार नई सीटें बनाई जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब 40 करोड़ देशवासी गुलामी की जंजीरों को तोड़कर देश को आजाद कर सकते हैं तो आज 140 करोड़ ‘परिवारजन’ इसी भाव से समृद्ध भारत भी बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हम 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अगर 40 करोड़ देशवासी अपने पुरुषार्थ, समर्पण, त्याग और बलिदान से आजादी दिला सकते हैं, आजाद भारत बना सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी इसी भाव से समृद्ध भारत भी बना सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यह समय है देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता का और अगर देश के लिए मरने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता समृद्ध भारत भी बना सकती है। पीएम मोदी ने कहा कि देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। मैं चाहता हूं कि भ्रष्टाचारियों के मन में डर पैदा हो ताकि आम आदमी को लूटने की परंपरा बंद हो। हम संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं लेकिन कुछ लोग होते हैं जो प्रगति देख नहीं सकते जो भारत का भला सोच नहीं सकते हैं। जब तक खुदका भला न हो तब तक उन्हें किसी का भला अच्छा नहीं लगता। देश को ऐसे लोगों से बचना होगा। ईमानदारी के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई तीव्र गति से जारी रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि उन्हें प्रगतिशील भारत को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने सपना देखा है कि 2047 विकसित भारत के सपने में सामान्य मानवीय की जिंदगी में सरकार की दखल कम हो। जहां सरकार की जरूरत हो वहां अभाव न हो और सरकार का बिना कारण प्रभाव भी न हो। मोदी ने कहा कि विश्व में सबसे तेज़ गति से करोड़ों लोगों को कोविड वैक्सीनेशन का काम हमारे देश में हुआ।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के बड़े सुधारों की वजह से भारतीय बैंक वैश्विक स्तर पर मजबूत बैंकों में शामिल हैं। मजबूत बैंकिंग प्रणाली औपचारिक अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है। पहले बैंकिंग क्षेत्र कठिन दौर से गुजर रहा था, लेकिन अब इस क्षेत्र में वृद्धि हो रही है। आज जो महानुभाव राष्ट्र रक्षा के लिए पूरी लगन से, पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं और देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं। वो हमारे किसान हैं, हमारे जवान हैं, हमारे नौजवानों के हौसले हैं, हमारी माताओं-बहनों का योगदान है, दलित-शोषित-वंचित-पीड़ित हैं। किसानों का जीवन बेहत बनाने का लक्ष्यः सरकार किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास कर रही है. सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं और ऐसी कृषि पद्धतियों के लिए बजट आवंटन भी बढ़ाया गया है. मोदी ने भरोसा जताया कि भारत दुनिया का जैविक खाद्यान्न उत्पादक बन सकता है. हमारी कृषि प्रणाली में बदलाव लाना बहुत जरूरी है, यह समय की मांग है. सरकार किसानों को आधुनिक पद्धतियां अपनाने के लिए हरसंभव मदद दे रही है. करीब 10 करोड़ नई महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं और परिवार के फैसले लेने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग बन गई हैं. वह व्यापक सामाजिक बदलाव लाने में योगदान दे रही हैं. हमें यह देखकर गर्व हो रहा है कि महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं. जब महिलाएं आत्मनिर्भर हो जाती हैं तो वे परिवार के फैसले लेने की प्रक्रिया में भाग लेती हैं और यह महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन सुनिश्चित करेगा. वो दिन दूर नहीं है, जब भारत इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग का हब होगा. विश्व के बहुत सारे उद्योगपति भारत में निवेश करना चाहते हैं. मैं राज्य सरकारों से अपील करता हूं कि आप निवेशकों को आकर्षित करने के लिए स्पष्ट नीति निर्धारित करें, कानून-व्यवस्था के संबंध में उन्हें आश्वासन दीजिए. राज्यों के बीच निवेशकों को अपनी तरफ खींचने के लिए प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए.
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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