'राजेन्द्र यादव हंस सम्मान-2024’ (11 सम्मान) से पुरस्कृत विजेताओं की क्रमानुसार सूची
राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान समीना खान को मिला। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन कर रही समीना खान ने 'स्वतंत्र भारत' समाचार पत्र से अपनी पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की और ‘हिंदुस्तान’ तथा ‘जनसत्ता’ में भी काम किया। समीना आकाशवाणी से भी जुड़ी हुई हैं साथ ही ब्लॉग भी लिखती हैं। इन्हें ‘हंस’ नवम्बर 2023 अंक में प्रकाशित इनकी कहानी ‘राकिया की अम्मा’ के लिए ‘राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान-2024’ से अलंकृत किया गया। इस सम्मान के निर्णायक थे शिवमूर्ति, जया जादवानी एवं पल्लव।
राजेन्द्र यादव हंस 'अनूदित कथा' सम्मान शकील सिद्दीक़ी को मिला। शकील सिद्दीक़ी मूल रूप से कथाकार हैं। आप अनेक पाकिस्तानी एवं अन्य लेखकों के उर्दू पुस्तकों का अनुवाद कर चुके हैं।मसलन फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के कलाम, इस्मत चुग़ताई, मंटों आदि की रचनाओं का अनुवाद। विभिन्न पत्रिकाओं-पुस्तकों में आपके रेखाचित्र भी प्रकाशित हुए हैं।इनकी अभी तक बीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इन्हें ‘हंस’ फ़रवरी 2024 अंक में प्रकाशित इनकी अनूदित कहानी ‘ग़मज़दा संतरों की सरज़मीन’, जो मूल रूप से एक फ़िलिस्तीनी कहानी है, जिसके मूल लेखक गस्सान कन्फ़ानी हैं, के लिए ‘राजेन्द्र यादव हंस अनूदित कथा सम्मान-2024’ से अलंकृत किया गया। इस सम्मान के निर्णायक थीं रख्शंदा जलील।
‘दस्तक’ युवा कथा सम्मान - यह पुरस्कार संयुक्त रूप से किंशुक गुप्ता एवं उज्जवल देशवाल को मिला। कथाकार, कवि, समीक्षक, स्तम्भकार एवं अनुवाद किंशुक गुप्ता द्विभाषी लेखक हैं।आप स्वास्थ्य, जेंडर और लैंगिकता के अंतर्संबंध पर लगातार लिख रहे हैं।कहानियों की आपकी पहली पुस्तक, ‘ये दिल है कि चोर दरवाज़ा’ है जो एल.जी.बी.टी. समुदाय पर केन्द्रित आधुनिक हिन्दी साहित्य का पहला कहानी संग्रह है, जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद 2025 में हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित किया जाएगा। ‘दस्तक’ प्रतियोगिता में आई इनकी कहानी ‘प्रूफ़ॉक, मेरे दिल के वीरान में बसो’ के लिए ’दस्तक युवा कथा सम्मान-2024’ से अलंकृत किया गया। उज्जवल देशवाल, उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले के एक गाँव में पले-बढ़े।इनकी स्कूली पढ़ाई वहीं से हुई और अभी दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. कर रहे हैं। इन्हें ‘दस्तक’ प्रतियोगिता में आई इनकी कहानी ‘चीज़ों के बिगड़ते आकार’ के लिए ‘दस्तक युवा कथा सम्मान-2024’ से अलंकृत किया गया। इस सम्मान की निर्णायक थीं वंदना राग ।
राजेन्द्र यादव हंस 'कविता' सम्मान सत्येन्द्र कुमार को मिला।
सत्येन्द्र कुमार का वामधारा से जुड़ाव रहा है।वह प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े रहे हैं।उनके दो कविता-संग्रह ‘आशा इतिहास से संवाद है’ एवं ‘हे गार्गी’ प्रकाशित हुए हैं। और उनका तीसरा कविता-संग्रह और एक कहानी-संग्रह शीघ्र प्रकाशित होने वाला है। इन्हें ‘हंस’ जनवरी 2024 अंक में प्रकाशित इनकी कविता ‘फ़रीद, तुम ही कुछ कहो न!’ के लिए ‘राजेन्द्र यादव हंस कविता सम्मान-2024’ से अलंकृत किया गया। इस सम्मान की निर्णायक थीं सविता सिंह।
राजेन्द्र यादव 'लेख' सम्मान विभावरी को मिला।
विभावरी मूलतः गोरखपुर(उत्तर-प्रदेश) की रहने वाली हैं। इन्होंने इलाहाबाद और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अध्ययन किया है। इनकी पुस्तक 'और मैंने चुना काफिर हो जाना' संग्रह पिक्चर पोएट्री विधा में प्रकाशित है।सिनेमा से सम्बंधित इनकी दो पुस्तकें : 'स्त्री की सरहद' और 'सिनेमा के बहाने' प्रकाशित हुई हैं।वर्तमान में विभावरी गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में अध्यापन का कार्य करती हैं। इन्हें ‘हंस’ अप्रैल 2024 अंक में प्रकाशित इनके लेख ‘सिनेमा में दलित प्रतिनिधित्व के प्रश्न’ के लिए ‘राजेन्द्र यादव हंस लेख सम्मान-2024’ से अलंकृत किया गया। इस सम्मान के निर्णायक थे आशुतोष कुमार।
राजेन्द्र यादव हंस 'समीक्षा' सम्मान शुभम नेगी को मिला।
कवि, समीक्षक, कथाकार शुभम नेगी, कोमलता के पीछे भागते एक ऐसे रचनाकार हैं जो सामाजिक दृढ़ता की बारीकियों को समझना चाहते हैं और हाशिये की अस्मिताओं की राजनीति से रूबरू होकर ऐसी रचनाएँ लिखना चाहते हैं जिनमें उनके हिस्से ठंडी साँस लिखी हो। इन्हें ‘हंस’ अक्तूबर 2023 अंक में प्रकाशित लेखिका रूथ वनिता की पुस्तक ‘परियों के बीच’ की समीक्षा ‘परख अनकहे पोशिदा अहसास का संसार’ के लिए ‘राजेन्द्र यादव हंस समीक्षा सम्मान’ से अलंकृत किया गया। इस सम्मान के निर्णायक थे संजीव कुमार।
राजेंद्र यादव हंस 'लघुकथा' सम्मान मार्टिन जॉन को मिला।
मार्टिन जॉन के लेखन की शुरुआत लघुकथा से हुई। उनके अभी तक दो लघुकथा-संग्रह, एक कहानी-संग्रह और एक कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।दर्जनों पुस्तकों और पत्रिकाओं में इनके बनाए रेखाचित्र एवं आवरण प्रकाशित हो चुके हैं। इन्हें ‘हंस’ जून 2024 अंक में प्रकाशित इनकी लघुकथा ‘कीप इट मॉम’ लिए ‘राजेन्द्र यादव हंस लघुकथा सम्मान-2024’ से अलंकृत किया गया। इस सम्मान के निर्णायक थे पल्लव।
राजेन्द्र यादव हंस 'ग़ज़ल' सम्मान ऋचा सिन्हा को मिला।
ऋचा सिन्हा, गीत, ग़ज़ल, छंद, मुक्तक, दोहे, कहानी आदि विधाओं में लेखन करती हैं। इनकी अभी तक तीन काव्य-संकलन, एक ग़ज़ल-संग्रह, एक कहानी-संग्रह और कुछ साझा काव्य-संकलन प्रकाशित हुए हैं। इन्हें ‘हंस’ नवम्बर 2023 अंक में प्रकाशित इनकी ग़ज़ल के लिए ‘राजेन्द्र यादव हंस ग़ज़ल सम्मान-2024’ से अलंकृत किया गया। इस सम्मान के निर्णायक थे यश मालवीय।
राजेन्द्र यादव हंस 'आवरण' सम्मान वंदना पवार को मिला।
वंदना पवार, ललित कला महाविद्यालय जलगांव में प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रेखाचित्र व आवरण प्रकाशित हो चुके हैं, एकल व समूह कला-प्रदर्शनों में प्रतिभाग करती रही हैं। इन्हें ‘हंस’ जुलाई 2024 अंक के आवरण के लिए ‘राजेन्द्र यादव हंस आवरण सम्मान-2024’ से सम्मानित किया गया। इस सम्मान के निर्णायक थे विनोद भारद्वाज।
राजेन्द्र यादव 'पत्र' सम्मान चमन लाल शर्मा को दिया गया।
चमन लाल शर्मा, पंजाब नेशनल बैंक के प्रबन्धक पद से सेवानिवृत्त हो, स्वतन्त्र लेखन में संलग्न हैं। वर्तमान में वाराणसी में रहते हैं। इनकी कविता-संग्रह ‘शब्द नहीं हैं, हम’ प्रकाशित हो चुका है। इन्हें ‘हंस’ दिसम्बर 2023 अंक में प्रकाशित इनके पत्र ‘गिद्ध दृष्टि के मालिक’ के लिए ‘राजेन्द्र यादव हंस पत्र सम्मान-2024’ से सम्मानित किया गया। इस सम्मान के निर्णायक थे वीना उनियाल/प्रेमचंद।
राजेन्द्र यादव 'हंस' विक्रेता सम्मान ललित जिलानी को मिला।
ललित जिलानी का जोधपुर, राजस्थान में सर्वोदय बुक स्टॉल है जो जोधपुर का सबसे बड़ा बुक स्टॉल है। इनके बचपन यानी इनके पिता के समय से अब तक ‘हंस’ पत्रिका वहाँ लगातार उपलब्ध रहती है। इस सम्मान के निर्णायक थे : हारिस महमूद। इन सम्मानों के उपरांत धन्यवाद ज्ञापन रचना यादव ने दिया। इस अवसर पर साहित्य,कला, सिनेमा, पत्रकारिता और विभिन्न क्षेत्रों से कई लोग उपस्थित रहे।
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