पहले जम्मू-कश्मीर में कुल 111 सीटें हुआ करती थीं। जम्मू में 37, कश्मीर में 46 और लद्दाख में 4 सीटें थीं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में 24 सीटें होती थीं। कुछ समय पूर्व नई परिसीमन-प्रक्रिया के चलते जम्मू में अब 43 तो कश्मीर में 47 सीटें होंगी। पीओके के लिए पूर्ववत 24 सीटें आरक्षित हैं। कश्मीरी पंडितों के लिए दो सीटें रिजर्व रखी गई हैं। हालांकि, इन्हें कश्मीरी प्रवासी कहा गया है। अब उपराज्यपाल विधानसभा के लिए तीन सदस्यों को नामित कर सकेंगे, जिनमें से दो कश्मीरी प्रवासी और एक पीओके से विस्थापित व्यक्ति होगा। जिन दो कश्मीरी प्रवासियों को नामित किया जाएगा, उनमें से एक महिला होगी। कश्मीरी प्रवासी उसे माना जाएगा जिसने 1 नवंबर 1989 के बाद घाटी या जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से से पलायन किया हो और उसका नाम रिलीफ कमिश्नर की रजिस्टर में दर्ज हो। वहीं, जो भी व्यक्ति 1947-48, 1965 या 1971 के बाद पीओके से आया होगा, उसे विस्थापित माना जाएगा। इसके साथ ही अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 16 सीटें रिजर्व की हैं। इनमें से एससी के लिए 7 और एसटी के लिए 9 सीटें रखी गईं हैं।
—डा० शिबन कृष्ण रैणा—
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