पटना : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 16 अगस्त 2024 को 19वां गाजरघास जागरूगता सप्ताह का शुभारंभ हुआ | यह कार्यक्रम दिनांक 22 अगस्त 2024 तक मनाया जाएगा, जिसमें गाजरघास के उन्मूलन से संबंधित विभिन्न स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रम किए जाएंगे | संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने बताया कि गाजरघास सबसे घातक विदेशी खरपतवारों में से एक है, जो न सिर्फ फसलों को बल्कि मनुष्यों और पशुओं को भी काफी नुकसान पहुंचाता है | उन्होंने यह भी बताया कि गाजरघास का एक पौधा करीब पचीस हजार से भी ज्यादा बीज उत्पन्न कर सकता है और यदि इसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया, तो बहुत तेजी से इसका विस्तार होगा और आर्थिक क्षति पहुंचेगी | इसके उपरांत संस्थान के डॉ. कमल शर्मा, प्रभागाध्यक्ष, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन; डॉ. संजीव कुमार, प्रभागाध्यक्ष, फसल अनुसंधान; डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रभागाध्यक्ष, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार; डॉ. शिवानी, प्रभारी प्रभागाध्यक्ष, भूमि एवं जल प्रबंधन ने इस खरपतवार के प्रबंधन के लिए विभिन्न विधियाँ बताई | उन्होंने बताया कि इसका उन्मूलन यदि फूल आने से पहले किया जाए तो ज्यादा प्रभावी होगा | साथ ही प्रतिस्पर्धी पौधे जैसे चकोड़ा और गेंदा लगाकर इसे विस्थापित किया जा सकता है | शाकनाशी के अलावा जैव नियंत्रक मैक्सिकन बीटल का प्रयोग करके काफी हद तक इसे नियंत्रित किया जा सकता है | सभी ने समेकित पद्धति अपनाकर इसे नियंत्रित करने का उपाय बताया | इस अवसर पर संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ-साथ किसान और आईएआरआई पटना हब के छात्र भी उपस्थित थे, जिन्हें गाजरघास प्रबंधन की जानकारी दी गई | इससे पूर्व डॉ. सोनका घोष, वैज्ञानिक ने अपने स्वागत भाषण के उपरांत इसके प्रबंधन पर प्रस्तुति देते हुए बताया कि बदलती जलवायु में जैसे-जैसे तापमान एवं कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि होगी, तो इसका प्रकोप और भी बढ़ता जाएगा | डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ | कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री अभिषेक कुमार, श्री अनिल कुमार, श्री उमेश कुमार मिश्र एवं अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही |
शुक्रवार, 16 अगस्त 2024
पटना : कृषि अनुसंधान परिसर में 19वां गाजरघास जागरूगता सप्ताह का शुभारंभ
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