- आवासीय भूमि और पक्का मकान को लेकर गरीबों की हो रही भारी गोलबंदी
- 72 हजार रु. से नीचे के आय प्रमाण पत्र के डेढ़ लाख से अधिक फॉर्म भरे गए
- 23-24 सितंबर को एक बार फिर से होगा प्रखंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन
बैठक में बिहार में जारी भूमि सर्वेक्षण पर विभिन्न कोनों से उठ रहे सवालों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई. प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार प्रतीत होता है कि सरकार की बुनियादी मंशा जमीन को गरीबों से छीनकर उसे सरकारी घोषित कर देने की है. कई तरह की विसंगतियां उभरकर सामने आ रही हैं. भाकपा-माले भूमि सर्वेक्षण में गरीबों, आदिवासियों और अन्य वंचित वर्गों के भूमि अधिकारों पर समुचित रूप से ध्यान देने की मांग करती है जिसकी उपेक्षा सर्वे में की जा रही है. बरसो बरस से बसे गरीबों को कागज का बहाना बनाकर उनके अधिकार को अवैध घोषित कर दिया जा रहा है. यह गरीबों, किसानों व वंचितों की हकमारी है. अतः माले की मांग है कि भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया को अधिक न्यायपूर्ण, पारदर्शी और समावेशी बनाने तथा गरीबों-आदिवासयिों के हितों की रक्षा के लिए सबसे पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें