प्रो. पांडे ने छात्रों को आत्मनिरीक्षण और नवाचार के महत्व पर जोर देने के साथ ही बिहार और विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र की प्राचीन गौरवशाली विरासत का उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि छात्रों को अपने अध्ययन और शोध में इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को शामिल करना चाहिए और बिहार के विकास के लिए कार्य करना चाहिए। उनका संदेश स्पष्ट था—विद्यार्थियों को अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग न केवल व्यक्तिगत उन्नति के लिए, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास के लिए भी करना चाहिए।कार्यक्रम में अन्य प्रमुख वक्ताओं में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डॉ. चंदन, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख श्री श्याम सुंदर चौधरी, और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डॉ. शशि भूषण शामिल थे। इन अधिकारियों ने छात्रों का स्वागत किया और उन्हें DCE दरभंगा के समृद्ध इतिहास, उपलब्ध सुविधाओं, और छात्रों के लिए उपलब्ध संसाधनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि DCE दरभंगा ने हमेशा से उच्च गुणवत्ता की तकनीकी शिक्षा प्रदान की है, और यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी।
प्राचार्य प्रो. (डॉ.) संदीप Tiwari ने अपने स्वागत भाषण में छात्रों को आश्वस्त किया कि DCE दरभंगा उनके समग्र विकास के लिए हर संभव सहायता और संसाधन प्रदान करेगा। उन्होंने जीवन में अच्छे दृष्टिकोण और अनुशासन की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह दोनों तत्व छात्रों की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने छात्रों को बताया कि अनुशासन न केवल शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है, बल्कि यह व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।कार्यक्रम का समन्वयन prof. डॉ. दीप्ति और डॉ. बुशरा तजीम द्वारा किया गया। मीडिया सेल प्रभारी Prof. Vinayak Jha ने बताया कि "अभ्युदय" इंडक्शन प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य नए छात्रों को नए वातावरण में सहजता से समायोजित करना, उन्हें संस्थान की संस्कृति और मूल्यों से परिचित कराना, अन्य छात्रों और संकाय सदस्यों के साथ संबंध बनाना, और उन्हें एक बड़े उद्देश्य और आत्म-खोज की दिशा में प्रेरित करना है। यह कार्यक्रम नए छात्रों को उनकी शैक्षणिक यात्रा के आरंभ में एक मजबूत आधार प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि वे आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपने शैक्षणिक और व्यावसायिक लक्ष्यों की ओर बढ़ सकें।
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