हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजे दिलचस्पी रहे।हरियाणा में मतगणना के दौरान उतार-चढ़ावों के बीच दिन में बारह बजे के बाद ही स्थिति स्पष्ट होती चली गयी। अग्जिट पोल के सारे अनुमान फ़ैल हो गए और बीजेपी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ। कांगेस के एक बहुत बड़े और बुज़ुर्ग नेता अंत तक यही कहते रहे कि हम न तो शायर हैं और न रिटायर हैं।शायद कहना वे यह चाहते थे कि यदि उनकी पार्टी जीती तो मुख्यमंत्री पद के लिए वे सर्वथा योग्य हैं। कुछ अन्य कोंग्रेसी नेता भी मुख्यमंत्री पद के लिए बराबर अपनी दावेदारी ठोकते रहे मग़र ऊपर वाले के साथ साथ जनता को कुछ और ही मंज़ूर था। उधर, जम्मू कश्मीर में कुछ अप्रत्याशित नहीं हुआ। वहां धर्म और सम्प्रदावाद ने 'खेला' किया। यह बात इस तथ्य से प्रमाणित होती है कि एनसी के लगभग सारे के सारे उम्मीदवार एक ही समुदाय के जीत गए।एक बात और। जो उमर अब्दुल्ला एह कहते थकते न थे कि जबतक जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटती नहीं है तब तक चुनाव नहीं लडूंगा और जब तक जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलता तब किसी भी हालत में चुनाव में भाग नहीं लूँगा, वही उमर अब्दुल्ला दो जगह से चुनाव भी लड़े और जीत भी गए।
चुनावी बातें हैं, बातों का क्या?
(डॉ० शिबन कृष्ण रैणा)
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