- खाटू श्याम भजन संध्या का आयोजन-भजन गायकों ने एक से बढ़कर एक दी भजनों की प्रस्तुति, बाबा का सजाया अलौकिक दरबार
- मन ही माया के बंधन में बंधा रहता है-कथा व्यास पंडित राघवेन्द्राचार्य महाराज
सात दिवसीय भागवत कथा के दौरान पंडित राघवेन्द्राचार्य ने गोवर्धन पूजन का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि इंद्र ने क्रोधित होकर भयंकर आंधी तूफान बारिश की। जिससे समस्त गोकुल में त्राहि-त्राहि मच उठी। रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर श्री गोवर्धन पर्वत को धारण किया एवं समस्त गोकुल वासी को शरण दी। इंद्र के कुपित होने पर भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। अहंकार को नष्ट करने के लिए ही भगवान ने गोवर्धन की पूजन का क्रम आरंभ करवाया था। भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के अहंकार को नष्ट करने के लिए गोवर्धन पूजा कराई थी। युवा पीढ़ी में सेवा भाव कम हो गया है। जिससे अब तो बुढ़ापा एक अभिशाप बन गया है। इसी कारण वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारतीय संस्कृति दिन-प्रतिदिन विलुप्त होती दिखाई दे रही है। युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल रही है। ऐसे समय में युवाओं को शिक्षा के साथ संस्कार का ज्ञान देना होगा। जब बात राष्ट्र की हो, धर्म की हो, भारतीय संस्कृति की हो तब भारत का साधू अपनी ज्ञान की झोली फैलाने में संकोच नहीं करता। मनुष्य जैसे कर्म करता है उसे फल भी वैसे ही भोगने पड़ते हैं। प्रभु राम व कृष्ण ने मनुष्य रूप में दुष्टों का संहार करते हुए अनेक लीलाएं कीं। धर्म की रक्षा और दुष्टों के संहार के लिए ही भगवान ने अवतार लिए। भगवान ने अवतार लेकर वकासुर, अघासुर, धेनुकासुर आदि राक्षसों का वध किया। इंद्र का अहंकार तोडऩे के लिए गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठा लिया।
आज रुकमणी विवाह का आयोजन किया जाएगा
समस्त गोंदन सरकार भक्त मंडल की ओर से जानकारी देते हुए पंडित जितेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि कथा के छठवें दिन भगवान श्रीकृष्ण और माता रुकमणी विवाह का विस्तार से वर्णन किया जाएगा। कथा के अंत में यजमान अशोक गोयल और श्रीमती मधु गोयल सहित अन्य ने आरती और प्रसादी का वितरण किया।
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