सहकारी मॉडल की परिवर्तनकारी क्षमता पहचानते हुए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की, जो आधुनिक भारत में एक ऐतिहासिक कदम है। यह पहल समावेशी विकास और समृद्धि के लिए मोदी जी की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह, जो एक अनुभवी सहकारी नेता हैं, ने इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तनों का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दूरदर्शी नीतियों और मार्गदर्शन में भारत के सहकारी आंदोलन को एक नई दिशा मिली है, जिसमें "सहकार से समृद्धि" के सूत्र वाक्य पर जोर है। श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सहकारी क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हो रहा है और वैश्विक स्तर पर यह क्षेत्र तेजी से मान्यता प्राप्त कर रहा है। लगभग 132 साल पहले स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन ने नवंबर 2024 में 107 से अधिक देशों के साथ भारत में अपनी पहली बैठक की। भारत के सहकारी इकोसिस्टम की बढ़ती ताकत को देखना सभी भारतीयों के लिए गर्व का पल था। नई दिल्ली में इफको द्वारा आयोजित आई. सी. ए. वैश्विक सम्मेलन की सफल मेजबानी से भारत ने सहकारी आंदोलन के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। आई. सी. ए. अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया, जिसमें भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे, फिजी के उप-प्रधानमंत्री मनोआ कामिकामिका, आई. सी. ए. के अध्यक्ष एरियल ग्वार्को और 107 देशों के 1,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान, संयुक्त राष्ट्र ने सहकारिता क्षेत्र के वैश्विक प्रभाव को मान्यता देते हुए वर्ष 2025 को "अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष" घोषित किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरक दृष्टि और रणनीतिक नेतृत्व ने भारत के सहकारी आंदोलन को वैश्विक महत्व दिया है। जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण पर उनके जोर के साथ-साथ अमित शाह जी की सहकारी मॉडल की गहरी समझ ने इस क्षेत्र को दुनिया के लिए आशा की नई किरण के तौर पर पेश किया है। इस सम्मेलन की सफलता उनके अनुकरणीय नेतृत्व और वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद का प्रमाण है। कई अंतर्राष्ट्रीय सहकारी नेताओं ने भारत के सहकारी आंदोलन के बारे में जानने और भारत में प्रमुख सहकारी संगठनों के साथ साझेदारी की खोज करने में गहरी रुचि व्यक्त की। इस अनुभव ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (दुनिया एक परिवार है) के दृष्टिकोण की भावना को मजबूत किया, जो हमारे राष्ट्र के मूल्यों और परंपराओं से मेल खाती है।
भारत की डेयरी सहकारी समितियां ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दृष्टिकोण और सहकारिता की सफलता को आगे बढाने के लिए मजबूती से खड़ी हैं। अमूल डेयरी कोऑपरेटिव की स्वप्निल यात्रा विस्मय पैदा करने वाली है। एक छोटे स्तर पर शुरू करके यह दुनिया की सबसे बड़ी डेयरी सहकारी समितियों में से एक बन गई है। इसके अलावा, "आणंद पैटर्न" पर आधारित अमूल की सफलता, जिसमें किसान ही सह-स्वामी होने के साथ-साथ आपूर्तिकर्ता भी है, ने आय और लाभ का उचित वितरण सुनिश्चित किया है। निर्णय लेने में किसानों की प्रत्यक्ष भागीदारी से और भी बेहतर प्रबंधन हुआ है। इसकी सफलता आर्थिक विकास से परे है, और महिला सशक्तिकरण के लिए एक मंच प्रदान करती है जो इसे देश और दुनिया भर की अन्य कृषि और डेयरी सहकारी समितियों के लिए एक आदर्श खाका बनाती है। इस क्षेत्र के लिए काम करने से सहकारिता के आदर्शों के प्रति मेरी प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई है। मैंने 30 साल पहले 1995 में ‘वसुंधरा-अमरेली’ नामक संगठन की स्थापना की थी। यह संगठन वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत को बढ़ावा देने के महान लक्ष्य से प्रेरित है। इसका उद्देश्य सभी जीवित प्राणियों के बीच प्रेम और एकता को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के दूरदर्शी नेतृत्व से सशक्त भारत का सहकारी ढांचा विकास के लिए एक प्रेरक मॉडल के रूप में उभरा है। "सहकार से समृद्धि" के दृष्टिकोण को न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर स्वीकृति मिल रही है। आई. सी. ए. वैश्विक सम्मेलन ने सहकारी नीतियों को और मजबूत करने, उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण, नेतृत्व को बढ़ावा देने, समानता सुनिश्चित करने और सहकारिता के माध्यम से न्याय को आगे बढ़ाने के लिए आधार तैयार किया है। आज की दुनिया में एक शांतिपूर्ण क्रांति केवल सहकारी ढांचे के माध्यम से ही संभव है। दुनिया में असमानता के बढ़ते विभाजन को केवल सहकारी उपायों के माध्यम से ही कम किया जा सकता है। युवाओं और समाज के अन्य वर्गों के बीच अलगाव की बढ़ती भावना को सहकारी समितियों के बंधन से ही कम किया जा सकता है। साझा भविष्य के लिए यह अनिवार्य है कि सहकारी आंदोलन केंद्र में रहें और न्यायसंगत आर्थिक और सामाजिक विकास करें।
दिलीप संघानी
(अध्यक्ष- एनसीयूआई, इफको और गुजकोमासोल, पूर्व सहकारिता मंत्री, गुजरात)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें