सीहोर : तीन फरवरी तक किया जाएगा शिव पार्थिव पूजन का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 31 जनवरी 2025

सीहोर : तीन फरवरी तक किया जाएगा शिव पार्थिव पूजन का आयोजन

  • धन की तीन गति होती है, दान उपभोग और नाश : पंडित चेतन उपाध्याय

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सीहोर। धन की तीन गति होती है, दान, उपभोग और नाश। दानपुण्य करने वाली गति सबसे श्रेष्ठ होती है। दूसरी गति स्वयं और परिवार पर खर्च करना और तीसरी गति अपने धन को दूसरे के द्वारा खर्च करते हुए नष्ट करना। उक्त विचार शहर के ब्रह्मपुरी कालोनी स्थित चमत्कालेश्वर महादेव मंदिर में समस्त महिला मंडल ब्रह्मपुरी कालोनी के तत्वाधान जारी संगीतमय सात दिवसीय नर्मदा पुराण के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित चेतन उपाध्याय ने नर्मदा पुराण और दान की महिमा पर प्रकाश डाला। मां नर्मदा के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। शुक्रवार को पंडित श्री उपाध्याय ने कहा कि आज की भाग दौड़ की जिंदगी में लोग आधुनिक भौतिक सुख अर्जित करने के लिए पैसा कमाने के पीछे पड़े हुए है, जबकि असली कमाई भागवत नाम है। पैसे की तीन गति बताई गई है। दान, भोग और विनाश। धन किसी भी अवस्था में स्थिर नहीं रह सकता है। जिसके लिए पैसे को देव कार्यों में खर्च करना चाहिए। इससे इस लोक और परलोक में भी सूख देता है। नर्मदा पुराण के तीसरे दिन भगवान श्री गणेश और कार्तिकेय के जन्म की कथा के अलावा नर्मदा के तटों का वर्णन किया गया। 


उन्होंने कहा नर्मदा को हम सभी मां का दर्जा देते हैं, लेकिन वास्तविकता में हम सभी ही उनके समाप्त होने का कारण बन रहे हैं। इस नदी का पौराणिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक महत्व है, इसलिए प्रदेश के बहुत से लोग इनसे जुड़े रोजगार पर ्रनिर्भर है और इन्हीं उद्योगों के कारण मां नर्मदा प्रदूषित भी हुई। उन्होंने कहा सभी संकल्प करें कि जिस किसी भी कारण से मां नर्मदा प्रदूषित होती है, हम सभी उस कारण का समाधान ढूंढकर प्रदूषित होने से बचाएंगे। अन्यथा आने वाली नव पीढ़ियों के लिए प्रदूषण रुपी दानव पूरे शुद्ध वातावरण को दूषित कर देगा। पंडित श्री उपाध्याय ने कहा कि गणेश जी प्रथम पूज्य हैं और इससे संबंधित एक कथा है। शास्त्रों के मुताबिक, एक दिन गणेश जी और कार्तिकेय स्वामी के बीच प्रतियोगिता हुई कि कौन सबसे पहले संसार का चक्कर लगाकर लौटता है। कार्तिकेय स्वामी का वाहन मयूर यानी मोर है और गणेश जी का वाहन चूहा है, जो कि मोर की अपेक्षा बहुत धीरे चलता है। कार्तिकेय तो अपने वाहन मयूर पर बैठकर उड़ गए, लेकिन गणेश जी का वाहन चूहा है तो उन्होंने विचार किया कि अगर मैं चूहे पर बैठकर संसार की परिक्रमा करूंगा तो बहुत समय लग जाएगा, कार्तिकेय ये प्रतियोगिता जीत जाएंगे। उन्होंने कुछ सोचा और फिर शिव-पार्वती की परिक्रमा करनी शुरू कर दी। गणेश जी ने कहा कि मेरा संसार को मेरे माता-पिता ही हैं।

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