उदयपुर : नंद चतुर्वेदी की कविताएँ अब बांग्ला में भी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शनिवार, 25 जनवरी 2025

उदयपुर : नंद चतुर्वेदी की कविताएँ अब बांग्ला में भी

Nand-chaturvedi-hindi-kavita
उदयपुर (रजनीश के झा)। प्रसिद्ध हिंदी कवि नंद चतुर्वेदी के की कविताएँ अब बांग्ला में भी पढ़ी जा सकेंगी। कोलकाता के लोकप्रिय पुस्तक मेले में उक्त पुस्तक 'शिशिर के दिन' शीर्षक से  उपलब्ध रहेगी। नंद चतुर्वेदी फांडेशन द्वारा जारी विज्ञप्ति में अध्यक्ष प्रो अरुण चतुर्वेदी ने बताया कि जानी मानी अनुवादिका लिपिका साहा ने नन्द बाबू की कविताओं का अनुवाद किया है और इसे बांग्ला के प्रतिष्ठित आनंद प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। उन्होंने बताया कि नंद चतुर्वेदी के जन्मशताब्दी समारोह के समय यह तय किया गया था कि नंद चतुर्वेदी के काव्य संकलन 'आशा बलवती है राजन' का भारतीय भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रकाशकों द्वारा प्रकाशन किया जाए, उसी क्रम में बांग्ला में यह कृति आई है। इससे पहले अंगरेजी और मराठी में क्रमश: आशुतोष मोहन और गजानन चव्हान जैसे जाने माने अनुवादकों ने नंद बाबू के काव्य कर्म को उक्त भाषाओं के पाठकों के लिए अनुवाद में प्रस्तुत किया है। मंगलवार 28 जनवरी से 9 फरवरी तक कोलकाता में हो रहे पुस्तक मेले में यह कृति उपलब्ध रहेगी। ज्ञातव्य है कि नन्द बाबू के शताब्दी वर्ष में ही उनके सम्पूर्ण रचना कर्म को चार खण्डों की रचनवाली में राजकमल प्रकाशन प्रस्तुत कर चुका है। 

कोई टिप्पणी नहीं: