- डीएम से हुई वार्ता, दुर्व्यवहार करने वाले शिक्षकों पर होगी कार्रवाई
- सैकड़ों रसोईया ने हजारो की संख्या में 2 मार्च को पटना के महाजुटान में शामिल होने का लिया संकल्प
कॉमरेड शशि यादव ने कहा, "1650 रुपये प्रतिमाह का मानदेय अन्यायपूर्ण है। इसे बढ़ाकर कम से कम ₹10,000 किया जाए और रसोइया संघ को चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, ताकि उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिले।" उन्होंने यह भी मांग की कि विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन व्यवस्था को एनजीओ के माध्यम से चलाने की नीति को समाप्त किया जाए और इसे पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में लाया जाए। स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव सह बिधान पार्षद शशि यादव के नेतृव में एक प्रतिनिधी मंडल मीला, जिसमे भाकपा-माले के जिला सचिव ध्रुब नारायण कर्ण, रसोईया संघ के जिला सचिव योगेंद्र यादव, नरेश पासवान, इंदु देवी शामिल थे। बार्ता मे डीएम ने स्पष्ट किया कि विद्यालयों में कार्यरत किसी भी रसोइया के साथ दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि किसी शिक्षक द्वारा रसोइयों के साथ दुर्व्यवहार की ठोस जानकारी मिलती है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। धरना को प्रतिनिधी मंडल के अलग वे रसोईया संघ के जिला अध्यक्ष उपेंद्र यादव, माले नेता मयंक कुमार यादव, श्याम पंडित वगैरह ने संबोधित किया। अंत में रसोईया ने पटना के 2 मार्च को महाजुटान मे हजारों की संख्या में भाग लेने का संकल्प लिया.
रसोइया संघ की प्रमुख मांगें
मानदेय ₹1650 से बढ़ाकर तत्काल ₹10,000 किया जाए।
एनजीओ को मध्यान्ह भोजन योजना से बाहर किया जाए।
रसोइयों को चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
वर्ष में 12 माह का मानदेय दिया जाए, न कि केवल 10 माह का।
रसोइया संघ का यह आंदोलन उनके अधिकारों की रक्षा और बेहतर भविष्य की मांग को लेकर जारी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें