नई दिल्ली (रजनीश के झा)। सुप्रसिद्ध साहित्यकार हरि भटनागर के कथा साहित्य पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें समकालीन साहित्यकारों और आलोचकों ने उनकी कहानियों की विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा की। इस कार्यक्रम का संचालन लीलाधर मंडलोई ने किया। मंडलोई ने कहा कि हरि भटनागर अपनी कहानियों में निम्न वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के जीवन को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते हैं। उनकी कहानियों की विशेषता यह है कि पाठक केवल पढ़ते ही नहीं, बल्कि दृश्यात्मक रूप से उन घटनाओं को अनुभव भी करते हैं। उनकी लेखनी में सिनेमेटिक शैली का प्रभाव स्पष्ट रूप से झलकता है। वरिष्ठ आलोचक वैभव ने कहा कि भटनागर अपनी कहानियों में ऐसे समाज को केंद्र में रखते हैं, जिसे अक्सर हाशिए पर रखा जाता है। उन्होंने कहा कि साहित्य का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मकेंद्रित होने की प्रवृत्ति से मुक्ति दिलाना भी है। इस संग्रह में प्रकृति बोध से जुड़ी कई कहानियाँ शामिल हैं। लेखक ने पुरानी शैली की कथा-शैली को अपनाया है, जो आधुनिक समय में धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। प्रो. दुर्गाप्रसाद गुप्त ने कहा कि भटनागर अपनी कहानियों में मध्यवर्गीय समाज की समस्याओं को उजागर करते हैं और उन्हें रूपकात्मक (Metaphoric) रूप में प्रस्तुत करते हैं। देवेंद्र चौबे ने उनकी लेखनी की सराहना करते हुए कहा कि हरि भटनागर वैश्विक स्तर के लेखक हैं, जिनके नायक कभी हार नहीं मानते। हरीश पाठक ने कहा कि भटनागर अपनी कहानियों में निम्न वर्ग के संघर्ष, दुःख और तकलीफों को प्रमुखता से स्थान देते हैं। कार्यक्रम में मौजूद सतेंद्र, जो लेखक के मित्र भी हैं, ने कहा कि हरि भटनागर उन लोगों की आवाज बनते हैं, जो अपनी पीड़ा व्यक्त करने में असमर्थ हैं। उनकी कहानियाँ सजीव चित्रों की भांति पाठकों के समक्ष उभरती हैं। इस अवसर पर स्वयं हरि भटनागर ने कहा, "एक लेखक को सैनिक की तरह होना चाहिए, जो आम जनता के लिए लड़े और उनकी आवाज बने। मेरा प्रयास हमेशा यही रहेगा कि मैं दुःखी और शोषित वर्ग के लिए खड़ा रहूं।" कार्यक्रम में कई अन्य साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति रही, जिन्होंने भटनागर की कहानियों को समाज के यथार्थ से जोड़ने की उनकी क्षमता की सराहना की। अंत में मीरा जौहरी जी ने सभी वक्ताओं का कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद किया।
शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025

दिल्ली : हरि भटनागर के कथा साहित्य पर विशेष संगोष्ठी का आयोजन
Tags
# देश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
देश
Labels:
देश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें