नई दिल्ली (रजनीश के झा) । चर्चित लेखिका गीताश्री के उपन्यास ‘सामा चकवा’ के द्वितीय संस्करण का लोकार्पण विश्व पुस्तक मेले में किया गया। इस अवसर पर एक साहित्यिक चर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें लेखक और आलोचक ऋषिकेश सुलभ तथा साहित्यकार प्रतीक्षा सहित कई साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में बोलते हुए ऋषिकेश सुलभ ने कहा कि गीताश्री ने इस उपन्यास में बिहार की लोककथा सामा-चकवा का पुनर्सृजन किया है। उन्होंने इसे केवल प्रणय कथा तक सीमित न रखते हुए इसमें कई ऐसे सूत्र जोड़े हैं जो साहित्य और समाज के व्यापक संदर्भों को उजागर करते हैं। प्रतीक्षा ने उपन्यास की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि गीताश्री के लेखन में लोककथाओं और देशज संदर्भों का गहरा प्रभाव है। उन्होंने इस उपन्यास में भाई-बहन के संबंधों और पर्यावरण विमर्श को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया है। स्वयं गीताश्री ने बताया कि सामा-चकवा बिहार की लोककथा है, जो छठ पर्व के समय गाई जाती है। इस अवसर पर उन्होंने उपन्यास से कुछ अंशों का पाठ भी किया और कार्यक्रम में शामिल सभी वक्ताओं और पाठकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस आयोजन का प्रकाशन राजपाल एंड सन्स, दिल्ली द्वारा किया गया।
बुधवार, 5 फ़रवरी 2025
दिल्ली : गीताश्री के उपन्यास ‘सामा चकवा’ के द्वितीय संस्करण का हुआ लोकार्पण
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