- सुरक्षा सुनिश्चित हो,काम का बोझ कम हो,वेतन वृद्धि हड़पने की साजिश बंद हो

सीहोर। आशा ऊषा पर्यवेक्षक एकता यूनियन जिलाध्यक्ष अनसुईया वर्मा के नेतृत्व में प्रदेशव्यापी आहवान पर आशा ऊषा पर्यवेक्षकों ने बुधवार को कलेक्ट्रेट में नो सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नाम डिप्टी कलेक्टर नितिन टाले को दिया। जिस में आशा ऊषा पर्यवेक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने,काम का बोझ कम करने के साथ वेतन वृद्धि हड़पने को लेकर की जा रही साजिश को बंद कराने सहित अन्य मांगे की गई। आशा ऊषा पर्यवेक्षकों ने कहा की प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा 29 जुलाई 2023 को हजारों आशा एवं पर्यवेक्षकों, विभागीय एवं प्रधासनिक अधिकारियों के सामने आशा एवं पयज़्वेक्षकों के लिये वषज़् में 1000 रुपये मानदेय वृद्धि करने की घोषणा की थी एवं मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इस घोषणा क्रमांक 2588 के माध्यम से इसकी पुष्टि की गई थी। इसके बावजूद विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा आदेश को अनुचित तरीके से तोडमरोड कर, उपभोका मूल्य सूचकांक के आधार पर वार्षिक वेतन वृद्धि लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। यह साफ है कि आशा के लिये न्यूनतम वेतन का लागू नहीं है इसलिये यह भी स्पष्ट है कि आशा एवं पर्यवेक्षकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक भी लागू नहीं हो सकता है। इसके बावजूद आशाओं की वार्षिक वेतन वृद्धि के बड़े हिस्से को हडपने के लिये योजनाबद्ध ढंग से यह अनुचित एवं अन्यायपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। अगर ऐसा हुआ ती प्रदेश की 80,000 आशा एवं पर्यवेक्षकों के साथ होने वाली इस धोखाधडी को सम्पूर्ण जिम्मेदारी मध्य प्रदेश शासन की होगी।
यह सभी जानते हैं कि आयुष्मान कार्ड बनाने का काम आशाओं का नहीं है। इसके बावजूद अधिकांश जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर आशाओं की सेवा समाप्त करने की धमकी देकर अनुचित दयाव बनाकर, काम से हटाने की धमकी देकर आयुष्मान काडज़् बनवाया जा रहा है। इस अतिरिक काम का बोझ के चलते शारीरिक एवं मानसिक रूप से पीडित है एवं बेहद तनाव से गुजर रही हैं। अब प्रशासन द्वारा प्रताडना को इन सभी सीमाओं को लांघा जा रहा है। पिछले एक साल से किये जा रहे इस काम के लिये शासन ने कुछ नहीं दिया। आशा एवं पर्यवेक्षक बेहद असुरक्षित परिस्थितियों में काम कर रही है। हाल में बालाघाट में सामने आये बीएमओ द्वारा आशा का दैहिक शोषण का प्रकरण हम सब के लिये चिंता का विषय है। यह बहुत देर से सामने आया। अधिक अधिकार सम्पर रसूखदार अधिकारी साधारण आशाओं पर दबाव बनाने में सफल हो जाता है। यहां कहीं भी प्रशासन आशा को साथ नहीं दिया और अंत में उच्च न्यायालय के शरण में जाना पड़ा। चाहे आशाओं का पूरा भुगतान न हो जिला प्रशासन अनुचित तरीके से वकज़्लोड दोगुना कर दें विभागीय अधिकारी अनुचित तरीके से सेवा समास कर दें, आशाओं के साथ असम्मानजनक व्यवहार हो विभाग हमेश मौन रहता है।ज्ञापन देते समय शकुन पाटिल,मुक्त यादव,अनसुईया वर्मा,सीमा,रमेती बाई,बसु बाई,हिरामनी,सुनीता राठौर,सुनीता ककोडिय़ा,अमरावती संगीता,शकुन धुर्वे,समूहा भल्लवि,किरण कैथल आदि आशा ऊषा पर्यवेक्षक उपस्थित रही।
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