पटना : ‘गणतंत्र के 75 साल - बिहार में बदलाव की चुनौती’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025

पटना : ‘गणतंत्र के 75 साल - बिहार में बदलाव की चुनौती’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन

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पटना, (रजनीश के झा)। बदलो बिहार विमर्श के तहत आगामी 12 फरवरी 2025 को सिन्हा लाइब्रेरी पथ स्थित बीआइए सभागार में ‘गणतंत्र के 75 साल - बिहार में बदलाव की चुनौती’ विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा। इस परिचर्चा में प्रमुख वक्ताओं के रूप में भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रो. रतनलाल, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक प्राध्यापक डॉ. लक्ष्मण यादव, आर्टिकल 19 के पत्रकार नवीन कुमार, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक प्रो. चिंटू कुमारी, सामाजिक कार्यकर्ता वंदना प्रभा, विधायक सह इंसाफ मंच के अध्यक्ष गोपाल रविदास, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त शिक्षक प्रो. शमीम आलम और अन्य प्रमुख हस्तियाँ इस परिचर्चा में भाग लेंगी। परिचर्चा का संचालन विधायक सह बीपूटा के संरक्षक संदीप सौरभ करेंगे। इस परिचर्चा का उद्देश्य बिहार में बदलाव के संघर्ष और एनडीए सरकार के 20 साल के शासन के प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करना है। परिचर्चा में यह विषय उठाया जाएगा कि एनडीए सरकार का शासन विफलताओं और जनता से विश्वासघात का प्रतीक बन चुका है। रोटी, कपड़ा, मकान, बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे सूचकांक यही बताते हैं कि एनडीए शासन ने बिहार को देश के सबसे गरीब और पिछड़े राज्यों की श्रेणी में डाल दिया है। तथाकथित डबल इंजन सरकार ने डबल बुलडोजर और अन्याय की सरकार साबित हुई है।


आज बिहार की असल जरूरतें और बुनियादी सुविधाएं बहुत पीछे छूट चुकी हैं, और राज्य सस्ते श्रम का स्रोत बनकर रह गया है। 94 लाख परिवार महागरीबी में जीने को विवश हैं। राज्य में स्कीम वर्करों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। बिहार अब गरीबी, पिछड़ेपन और सामाजिक उत्पीड़न की बेड़ियों से मुक्ति की पुकार कर रहा है। इस स्थिति में यह अत्यंत जरूरी है कि न्याय और बदलाव के लिए संघर्ष कर रहे विभिन्न आंदोलनकारी ताकतों और संगठनों के बीच और अधिक घनिष्ठ सहयोग स्थापित किया जाए। यह परिचर्चा इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करेगी कि बिहार बदलेगा तो देश बदलेगा। भले ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई हो, लेकिन इसका सबक यही है कि आंदोलनों को और तेज किया जाए। बिहार में बदलाव के सवाल और दिशा पर यह परिचर्चा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह आयोजन नागरिक समाज द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें एआईपीएफ के संयोजक कमलेश शर्मा, विधायक संदीप सौरभ, विधायक व इंसाफ मंच के राज्य अध्यक्ष गोपाल रविदास, जस्टिस डेमोक्रेटिक फोरम के पंकज श्वेताभ, किसान महासभा के केडी यादव, आइलाज की संयोजक मंजू शर्मा, इंसाफ मंच के गालिब, शिक्षाविद् गालिब, दलित अधिकार मंच के कपिलेश्वर राम, बिहार प्रदेश मुसहर विकास संघ के अशर्फी सदा, एससी-एसटी कर्मचारी संघ के विश्वनाथ चौधरी, शिक्षाशास्त्री रजनीश भारद्वाज और पॉलिटेक्निक कॉलेज के शिक्षक आशुतोष कुमार इसके आयोजकों में शामिल हैं। आयोजन समिति की ओर से कमलेश शर्मा ने बिहार के बुद्धिजीवियों और आंदोलनकारी समूहों से अपील की है कि वे इस बदलाव के विमर्श में भाग लें, ताकि बदलाव की इस मुहिम को गति मिल सके।

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