नई दिल्ली (रजनीश के झा) । श्रुत और स्मृति परंपराओं की रचनाओं को भी इस शृंखला में जगह दी गई है।मैंने भावों को ज्यादा महत्त्व देते हुए उनकी रचनाओं का भाव रूपांतरण किया है। इस में रचनाओं का भाव रूपांतरण है न कि अनुवाद। इस में कवियों व रचनाओं के चयन का आधार उनकी प्रतिनिधि रचनाओं को रखा गया है। कालजई कवि और उनका काव्य शृंखला में दो नई पुस्तकों के लोकार्पण में शृंखला संपादक और विख्यात अध्येता प्रो माधव हाड़ा ने कहा कि औपनिवेशिक ज्ञान मीमांसा में मध्यकाल को पिछड़ा और ठहरा हुआ माना गया है लेकिन मैं मध्यकाल को समय सूचक के रूप में देखता हूं। प्रो हाड़ा से दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सहायक आचार्य डॉ धर्मेद्र प्रताप सिंह और कवि अनुपम सिंह ने विस्तृत संवाद किया। संयोजन कर रहे डॉ पल्लव ने बताया कि मध्यकालीन कवियों पर इतनी बड़ी शृंखला दूसरी नहीं है। संवाद में चौपाल के संपादक डॉ कामेश्वर प्रसाद सिंह और लेखक प्रभात रंजन ने भी भाग लिया। अंत में मीरा जौहरी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
बुधवार, 5 फ़रवरी 2025
दिल्ली : कालजयी कवि और उनका काव्य- दादूदयाल व रसखान पुस्तकों का लोकार्पण
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