- अमृत राय का योगदान अविस्मरणीय : प्रो माधव हाड़ा
परिचर्चा में लघु पत्रिका चौपाल के संपादक डॉ कामेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि आज लघु पत्रिकाओं सहित समूची पुस्तक संस्कृति पर ख़तरा आ गया है जहाँ इंटरनेट जैसे माध्यम युवा पीढ़ी को साहित्य से दूर ले जा रहे हैं वहीँ डाक और मुद्रण की बढ़ती दरों ने साहित्य को भी सामान्य पाठकों से दूर कर दिया है। डॉ सिंह ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में बनास जन सरीखी लघु पत्रिका का निरन्तर प्रकाशन उम्मीदों को बनाए रखता है। उन्होंने अमृतराय विशेषांक का स्वागत करते हुए उन्हें जन साधारण का बड़ा लेखक बताया जो प्रेमचंद के साहित्य को जन जन तक पहुंचाने के साथ मौलिक सृजन भी करते रहे। लक्ष्मीबाई कालेज में हिंदी की सह आचार्य डॉ नीलम ने कहा उपन्यासकार से भी ज़्यादा अमृतराय के कहानीकार रूप का अधिक विकास हुआ है। वे शोषित, और वंचित स्त्री-पुरुष की पीड़ा से जुड़कर पूरी प्रतिबद्धता से कहानी लिखते रहे जिससे उनकी जीवन दृष्टि विकास के विभिन्न चरणों आभास मिलता है। डॉ नीलम ने अमृतराय विशेषांक के लिए प्रो नामदेव को बधाई देते हुए कहा कि अकादमिक जगत का दायित्व है कि वह अपने पुरोधा लेखकों का युगानुकूल पुनर्मूल्यांकन करे। इससे पहले नवारुण प्रकाशन के निदेशक संजय जोशी ने सभी का स्वागत किया और कहा कि लघु पत्रिका आंदोलन की जरूरतों को समझकर ही उन्होंने अपने स्टाल पर बनास जन जैसी पत्रिकाओं को मंच दिया है। उन्होंने बताया कि विश्व पुस्तक मेले में विशेष छूट पर बनास जन के सभी उपलब्ध अंक पाठकों को दिए जा रहे हैं।बनास जन के सम्पादक पल्लव ने पुस्तक मेले में प्रदर्शित अंकों की विस्तृत जानकारी दी। अंत में नवारुण प्रकाशन के सहयोगी आदित्य कश्यप ने सभी वक्ताओं का आभार प्रदर्शित किया।

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