विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्री दिलीप कुमार, संयुक्त निदेशक, मत्स्य निदेशालय, पटना ने बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी, जिनमें मत्स्य विपणन योजना, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति मत्स्य पालकों के लिए विशेष योजना, रिवर रैंचिंग योजना, मत्स्य बीज उत्पादन योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मत्स्य किसान बीमा योजना आदि शामिल हैं। डॉ. मोनोब्रुल्लाह, प्रधान वैज्ञानिक, अटारी, पटना ने मत्स्य पालन में गुणवत्तायुक्त बीज के लाभों का वर्णन किया तथा मत्स्य पालकों को टीम वर्क में कार्य करने की प्रेरणा दी और इसके लाभकारी महत्व को समझाया। डॉ. संतोष कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, भा.कृ.अनु.प. – राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ ने मत्स्य पालकों की आजीविका सुधार हेतु संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया, जिसमें क्रायो-प्रिजर्वेशन द्वारा मत्स्य बीज उत्पादन, रंगीन मछली उत्पादन तकनीक, मत्स्य पालन में रोगाणुरोध प्रतिरोध कम करने की जानकारी शामिल थी। उन्होंने मछलियों में रोग के उपचार हेतु ‘रिपोर्ट फिश डिजीज मोबाइल ऐप’ के लाभों का जिक्र किया और इसका प्रशिक्षण भी दिया।
इससे पूर्व, डॉ. कमल शर्मा, प्रभागाध्यक्ष, पशुधन एवं मात्स्यिकी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और बिहार में मत्स्य उत्पादन की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने मत्स्य पालकों को नदी में मछली की कमी के कारणों के बारे में बताया और उनके निदान हेतु सुझाव दिए | इस कार्यक्रम के दौरान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा प्रकाशित "मत्स्य पालन हेतु आर्द्र भूमि प्रबंधन" नामक पुस्तिका का विमोचन किया गया। साथ ही, किसानों की क्षमता निर्माण हेतु मत्स्य टोकरी, कास्ट नेट, हापा और हैंड नेट आदि उपकरण भी वितरित किए गए। डॉ. विवेकानंद भारती, वैज्ञानिक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ | कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. तारकेश्वर कुमार, डॉ. सुरेन्द्र कुमार अहिरवाल, श्री अमरेन्द्र कुमार, श्री उमेश कुमार मिश्र एवं अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही |

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