- ‘केवल एक नहीं हर दिन महिलाओं को सम्मान दें’
डॉक्टर गदिया ने महिलाओं को स्वावलम्बी बनने की बात कही। उन्होंने कहा कि महिलाओं को देखने के दृष्टिकोण में बदलाव आना जरूरी है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपनी ताकत को पहचानें, उठें, शक्तिशाली व स्वावलम्बी बनकर अपना ही नहीं देश के सोच का रुख भी बदल दें। उन्होंने अपनी एक कविता के माध्यम से महिलाओं को संकुचित सोच और ईर्ष्या भाव से अलग होकर अपने सोच और संस्कार पर ध्यान देने की बात पर बल दिया। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने कहा कि धारा के विपरीत बहकर भी आस-पास का माहौल परखें और देश को अपनी सोच से एक नई दिशा दें। देश के विकास में महिलाओं की भागीदारी के बिना कुछ भी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अबला नहीं हैं। पुरुष उन्हें कमजोर न समझें। महिला हर क्षेत्र में आज अपने आपको साबित करने में लगी है। उसके हौसले व जज्बे को पुरुष सलाम करना सीखें। जीएल बजाज कॉलेज की निदेशिका डॉ. सपना राकेश ने कहा कि पौधे कमरों में पेड़ नहीं बन सकते। पिंजरे में रहकर कोई पंछी उड़ान नहीं भर सकता। इसलिए लड़कियों को खुला आसमान दो। उन्हें उड़ने दो। लड़कियां पढेंगी तो आगे बढ़ेंगी, वे आगे बढ़ेंगी तो देश आगे बढ़ेगा। अभी देश पीछे छूट रहा है। आईपीईएम कॉलेज की निदेशिका डॉ. गीति शर्मा ने कहा कि लड़कियां अपनी फिटनेस और फूड पर ज्यादा ध्यान दें। तभी वे सशक्त बन सकती हैं और पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हैं। आरसीसीवी गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. नीतू चावला ने कहा कि जिनके घर बेटियां होती हैं वे घर सौभाग्यशाली होते हैं, जिनके घर बेटे जन्म लेते हैं वे घर भाग्यशाली होते हैं। महिलाओं को आज सशक्तीकरण शब्द को समझना होगा। समारोह में डॉ. गदिया और डॉ. अलका अग्रवाल ने आमंत्रित शिक्षा विभूतियों को शॉल, श्रीमद्भगवद् गीता और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। समारोह में विद्यार्थियों ने महिला दिवस पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। संचालन रंजना मिश्रा ने किया। इस अवसर पर मेवाड़ इंस्टीट्यूशन्स का समस्त स्टाफ भी मौजूद रहा।
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