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सोमवार, 24 मार्च 2025

पटना : “हाँ! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं: प्रतिबद्ध, निवेश, परिणाम”

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पटना, (आलोक कुमार). पटना नगर निगम को विभक्त कर पाटलिपुत्र अंचल  बनाया गया है.पाटलिपुत्र अंचल में अनेक मुसहरी है.जहां पर जानलेवा टी.बी.का प्रभाव रहा है.सबसे अधिक दीघा मुसहरी में टी.बी.का प्रसार होने से अनेक लोग मर गए थे.अभी विक्रांत कुमार और रामजी मांझी आक्रांत हैं.रामजी मांझी नामक टी.बी.मरीज की बहन और जीजाजी की मौत हो गयी है.  आज विश्व टीबी दिवस के अवसर पर लोगों को दीघा मुसहरी में जाकर विक्रांत कुमार और रामजी मांझी से मिलना चाहिए.आजकल यह कहा जाता है कि जो रोगी दवा खाकर छोड़ दिया है और जो रोगी आक्रांत हो रहा है.वैसे टी.बी.रोगी को शेखपुरा स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में विशेष जांच के लिए भेजा जाता है.जानकारी के अनुसार टी.बी.रोगी अर्थाभाव और अन्य कारणों से शेखपुरा स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में विशेष जांच के लिए जाते नहीं है.

    

यहां पर कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल और कोठिया स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर परिसर में टी.बी.केंद्र है.यहां पर बलगम जांच कर इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में रेफर कर दिया जाता है.यहां से रेफर होने वाले जांच कराने गए अथवा नहीं गए.उसका फोलोअप नहीं किया जाता है.  इस संदर्भ में कहना है कि यहां पर व्यवस्था हो कि कोई व्यक्ति टी.बी. मरीजों को गाड़ी में बैठाकर इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाकर जांच करवाएं और रिपोर्ट संग्रहकर दवा चालू कराए और फोलोअप करते रहे.  मालूम हो कि 24 मार्च, 1882 को एक बड़ी खोज हुई, जब डॉ. रॉबर्ट कोच ने टीबी पैदा करने वाले बैक्टीरिया की खोज किया गया. इस खोज का जश्न मनाने के लिए आज के दिन को विश्व टीबी दिवस (World TB Day) के रुप में मनाया जाता है. यह दिन टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके प्रसार को रोकने के लिए कार्रवाई को प्रोत्साहित करने में मदद करता है.  इस साल 2025 की थीम है “हाँ! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं: प्रतिबद्ध, निवेश, परिणाम.” यह थीम टीबी की रोकथाम, निदान, उपचार और देखभाल के लिए निरंतर प्रयास, वित्तीय सहायता और सफल कार्यों की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है.

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