विशेष : बस्ती जिले में नदियों की सफाई और नौका विहार की संभावनाएं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 1 मार्च 2025

विशेष : बस्ती जिले में नदियों की सफाई और नौका विहार की संभावनाएं

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 24 फरवरी 2025 को मुझे केरल के नेय्यार नदी पर  पूवर बोटिंग सफारी नौका विहार करने का अवसर  प्राप्त हुआ था। जो काफी रोमांटिक और शान्ति सकून भरा रहा। इस प्रकार के आयोजन उत्तर भारत के अनेक स्थलों पर भी विकसित किया जा सकता है। इससे जल परिवहन और नौका विहार के नए आयाम जुड़ेंगे और क्षेत्र के विकास में चार चांद लग सकते हैं।


जल परिवहन के फायदे

जल परिवहन का उपयोग प्राचीन समय से ही किया जा रहा है और इसके कई फायदे हैं। यह एक सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन है। कम लागत: जल परिवहन की लागत अन्य परिवहन चालकों की तुलना में कम लागत है। पर्यावरण के अनुकूल: जल परिवहन से प्रदूषण कम होता है, क्योंकि यह कम जल का उपयोग करता है। यह बहुत सस्ता है क्योंकि पानी का घर्षण ज़मीन की तुलना में बहुत कम है । जल परिवहन की ऊर्जा लागत कम है। 


उत्तर प्रदेश में भी अनुकूल परिस्थितियां 

उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस विकल्प को विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने  कहा है कि बलिया से अयोध्या तक सरयू नदी में जल परिवहन सेवा शुरू की जाएगी।  अयोध्या स्थित सरयू नदी में जल मार्ग का विकास करने और इसे सुदृढ़ बनाने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जल मार्ग में पानी की भरपूर व्यवस्था के लिए नदी तल का सिल्ट निकालने का कार्य किया जाएगा।  सरयू नदी में पानी का प्रवाह बढ़ाकर वाटर मेट्रो चलाने की तैयारी भी है। सरयू नदी में अयोध्या टांडा बडहल गंज को जोड़ते हुए यूपी की सीमा बलिया तक जल परिवहन को विकसित किया जा सकता है।सरयू नदी से मखौड़ा धाम को नदी मार्ग से नौका द्वारा जोड़कर पर्यटक को विकसित किया जा सकता है। टांडा से अयोध्या को नदी मार्ग से जोड़कर उमरिया देवरहा बाबा की जन्म भूमि को जोड़ते हुए पर्यटन स्थल विकसित किया जा सकता है।


कुवानो नदी 

कुवानो नदी सरयू (घाघरा) की सहायिका है। यह नदी तराई इलाके में बहराइच ज़िले के बसऊपुर गाँव के पास से एक सोते के रूप में निकलती है। नदी अपने मार्ग में बस्ती, संत कबीर नग़र और गोरखपुर जिले से होकर बहती है। इस नदी में नौका विहार की असीम संभावनाएं हैं। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कुवानो नदी पर अमहट भद्रेश्वर नाथ और मुड़ घाट बारछत्तर सन्त रविदास बन बिहार आदि कुछ स्थल को जोड़ते हुए इस तरह के नौका विहार के लिए उपयुक्त है। बस्ती का संत रविदास पार्क कुवानों नदी के तट पर स्थित है. यहां पर आपको पार्क के साथ ही प्राकृतिक संसाधन देखने को मिल जाएंगे जो कि बेहद ही खूबसूरत हैं. इस पार्क में आपको मनोरंजन के साथ ही तरह तरह के जीव जन्त पशु पक्षी देखने को मिल जाएंगे. गर्मी के मौसम में यहां पर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। इसे नौका विहार द्वारा विकसित किया जा सकता है।


बिसुही नदी

बिसुही नदी बहराइच जिले के इकौना परगना से निकलकर गोंडा की पश्चिमी सीमा में प्रवेश करती है। उतरौला तहसील में पहुंचकर यह सादुल्लानगर को मनकापुर से और बूढ़ापायर को बभनीपायर से अलग करती है। जिले में 70 मील की दूरी तय करके ये नदी कुआनो में मिल जाती है। इसका पाट भी कुआनो की तरह संकरा व गहरा है। जिले में प्रवेश करते समय नदी की चौड़ाई 10 से 15 गज तक ही है, जबकि पूर्वी सीमा पर पहुंचते-पहुंचते यह 40-50 गज तक चौड़ी हो गई है। नदी के तट व अधिकांश भाग जामुन के कुंजों से आच्छादित हैं। इन्हें छटवांकर अनुकूल बनाया जा सकता है। 


मनोरमा नदी व अन्य छोटी नदियां 

मनोरमा नदी पर मखौड़ा से बस्ती के लाल गंज तक पण्डुल पांडव घाट से झुगी नाथ तक को नौका विहार द्वारा जोड़ा जा सकता है। मनवर रामरेखा और सरयू नदी को जोड़कर नौका विहार के स्पॉट बनाए जा सकते हैं। इसी प्रकार आमी, रामरेखा, घाघौवा नाला ,गरिया आदि नदियों को भी इस दृष्टि से जोड़ा जा सकता है।







आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी 

वरिष्ठ पत्रकार 

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