सीहोर : आज किया जाएगा भगवान श्री गणेश विधि-विधान से पूजन-अर्चन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

सीहोर : आज किया जाएगा भगवान श्री गणेश विधि-विधान से पूजन-अर्चन

  • हर संकट से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ : पंडित पवन व्यास

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सीहोर। हनुमान जी को भगवान शिव का ही अवतार माना गया है। संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ सभी संकटों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। कहते हैं कि मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक के विधिवत पाठ से शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं। हनुमान अष्टक का पाठ कैसे करना चाहिए इसके बारे में शास्त्रों में बताया गया है। हनुमान अष्टक पाठ के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। इसका पाठ कभी भी, कहीं भी किया जा सकता है। इसी प्रकार मंगलवार को हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और राम चरित्र मानस आदि भी किया जाता है। उक्त विचार शिव-शक्ति दिव्य अनुष्ठान के नौंवे दिवस यज्ञाचार्य पंडित पवन व्यास ने कहे। शहर के सीवन तट पर हनुमान मंदिर गोपालधाम में शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में एक माह तक आयोजित होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान वैशाख महापर्व का आयोजन किया जा रहा। इस मौके पर हर रोज बड़ी संख्या में सुबह सात बजे से देर शाम तक हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ, रामचरित्र मानस, हवन और पूजा-अर्चना का आयोजन किया जा रहा है। उक्त दिव्य आयोजन समिति की ओर से यज्ञाचार्य पंडित पवन व्यास और पंडित कुणाल व्यास के सानिध्य में किया जा रहा है।


मंगलवार को राम चरित्र मानस के पाठ का आयोजन किया गया था। जिसमें यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं को समिति की ओर से मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि मानस की चौपाईयों से जीवन सार्थक होता है। बिना सत्संग के व्यक्ति के भीतर विवेक  की उत्पत्ति नहीं होती है तथा बिना राम कृपा के यह संभव नही है। राम कृपा का महात्म्य भी अनंत है। क्योंकि जब भगवान हनुमान सीता माता की खोज के लिए समुद्र लांघ कर लंका में प्रवेश कर रहे थे तब उनकी भेंट वहां की पहरेदार राक्षसी लंकिनी से हुई। वह पवनपुत्र हनुमान जी को रोकने लगी तब महावीर हनुमान जी ने उसे एक मुष्टिका मारी और उसे ज्ञान प्रदान किया और उसने उस दिव्य राम नाम ज्ञान को सुनकर कहा की सत्संग तो अनमोल है। ऐसे ही कई श्लोक व उसके अर्थ बताया। कहा कि अगर स्वर्ग तथा उसके भी ऊपर जो लोक है उनके सुखो को तराजू के एक तरफ रख दिया जाए और एक तरफ एक घड़ी का सत्संग का सुख रखा जाए तो दूसरे पलड़े का भार बहुत अधिक होगा। सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए कहते है कि एक घड़ी आधी घड़ी आधी में पुनि आधी, तुलसी संगत साधु की हरे कोटि अपराध। अर्थात अगर हम संतो के संगति में एक घडी, आधी घड़ी या फिर उसकी आधी घड़ी भी बैठते हैं तो हमसे होने वाले करोङ़ों पापो का हरण होता है। इसलिए सत्संग करने से लाभप्रद होता है।

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