- भगवान गणेश का किया विधि-विधान से पूजा अर्चना, दोपहर में कीर्तन किया

सीहोर। शहर के सीवन तट पर हनुमान मंदिर गोपालधाम में शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में एक माह तक आयोजित होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान वैशाख महापर्व का आयोजन किया जा रहा। बुधवार को भगवान गणेश की पूजा अर्चना यज्ञाचार्य पंडित पवन व्यास और पंडित कुणाल व्यास के द्वारा की गई। वहीं दोपहर को गोपालधाम महिला मंडल के तत्वाधान में कीर्तन का आयोजन किया गया। यज्ञाचार्य पंडित श्री व्यास ने बताया कि 30 दिवसीय दिव्य अनुष्ठान में मंदिर परिसर में यज्ञ शाला का निर्माण किया गया है। इसमें प्रतिदिन शिव-शक्ति यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा देवी, भगवान शिव और हनुमान आदि की पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर में नियमित रूप से हनुमान अष्टक, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और राम चरित्र मानस के पाठ का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सनातन को एकजुट करने और नई पीढ़ी में संस्कार के लिए समिति के द्वारा एक माह तक अनुष्ठान किया जा रहा है। बच्चों में अच्छे संस्कार से ही समाज का कल्याण होता है, वर्तमान के दौर में अच्छे संस्कार यज्ञ, दान और भगवान का जाप करने से होते है। संस्कारों का व्यक्ति के साथ ऐसा सम्बन्ध है जैसा जल का जमीन के साथ। व्यक्ति के कुछ संस्कार तो उसके अपने होते है। हम जीवन को उसकी गहराई तक जाकर देखते है तो बोध होता है कि हर व्यक्ति अनेक संस्कारों का ही एक पुतला है। व्यक्ति एक जन्म का नहीं जन्म जन्मान्तर के संस्कारों का परिणाम है। व्यक्ति जो कुछ होता है, करता है वह सब उसके भीतर इस जन्म के और पूर्व जन्म के संस्कारों का एक प्रवाह गतिशील रहता है। वर्तमान में व्यक्ति जो कुछ भी कहता है, करता है उसके पीछे पूर्वगत संस्कार और वर्तमान संस्कारों की बहुत बड़ी भूमिका रहती है।
ग्यारस और प्रदोष पर की जाएगी विशेष पूजा अर्चना
समिति की ओर से मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि वैशाख मास में पड़ने वाले ग्यारस और प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। नारद जी ने बताया कि वैशाख मास को ब्रह्माजी ने सब मासों में उत्तम सिद्ध किया है। यह मास संपूर्ण देवताओं द्वारा पूजित है। इसलिए इस महीने में पड़ने वाले ग्यारस और प्रदोष व्रत को करने से बहुत पुण्य मिलता है। वैशाख माह में ग्यारस और प्रदोष का व्रत करने से घर में शांति और दाम्पत्य जीवन में सुख बढ़ता है। शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। शिव पुराण के अनुसार इसे सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला व्रत कहा जाता है। इस व्रत को करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद शिव लोक को प्राप्त करता है।
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