इस मामले में इन अभियुक्तों ने एन.आई.के विशेष अदालत में जमानत हेतू अपनी याचिका दायर की थी जिसे न्यायालय ने पिछले वर्ष अस्वीकार कर दिया था, जिसे पटना उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर कर चुनौती दी गयी थी। उक्त अपीलों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने यह पाया कि यद्यपि अभियोजन पक्ष ने अपने आरोप पत्र में यह आरोप लगाया था कि अभियुक्तों ने अलग अलग समय पर संदेहास्पद लेनदेन किया है, परंतु आरोपपत्र में कहीं भी इन अभियुक्तों के द्वारा पी.एफ.आई. संस्था के खाते में न तो पैसे भेजने का और न ही पी. एफ. आई. के खाते से पैसे लेने से संबंधित कोई सबूत नही है, तथा किस समयावधि में इन अभियुक्तों ने दुबई स्थित सज्जाद आलम से फंड इकट्ठा कर भारत में भेजा इस संबंध में भी आरोपत्र में अस्पष्ट अभिकथन किया गया है। न्यायालय ने यह भी पाया कि इन अभियुक्तों का पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध लागू होने के बाद का किसी मीटिंग में भाग लेने का कोई सबूत नही है, तथा प्रतिबंध के बाद पी.एफ.आई. के खाते में गैरकानूनी गतिविधि को संचालित करने के उद्देश्य से कोई नकदी जमा किया हो। न्यायालय ने इस बात को भी जमानत देने का आधार बनाया कि इस मामले में अन्य दो अभियुक्त जलालुद्दीन खान एवं अतहर परवेज का जमानत माननीय सर्वोच्च न्यायालय से हो चुका है तथाएक अन्य अभियुक्त नूरुद्दीन जंगी उर्फ एडवोकेट नूरुद्दीन जंगी का जमानत पटना उच्च न्यायालय से हो चुका है, तथा ये छःआरोपी 2 वर्ष से अधिक समय से जेल में बंद है तथा नीचली अदालत में ट्रायल अभी वर्षों तक चलने की संभावना है। ऐसी परिस्थिति में संवैधानिक न्यायालय को व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुये, गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम की धारा 43डी के प्रावधान के बावजूद भी जमानत दी जा सकती है। अंततः न्यायालय ने यह माना कि इस संदर्भ में प्रस्तुत किये गये साक्ष्य यह मत धारित करने हेतू काफी नही है कि, अभियुक्तों के विरुद्ध प्रथम दृष्टया अपराध सत्य मानने हेतू युक्तियुक्त आधार है। मामले में 5 अभियुक्तों के तरफ से अधिवक्ता कुंदन कुमार ओझा एवं एक अभियुक्त अरमान मलिक की तरफ से अधिवक्ता अशर मुस्तफा से अपना पक्ष रखा तथा, एन.आई.ए. की तरफ से ए.एस.जी. कृष्णनंदन सिंह ने पक्ष रखा था।
पटना (रजनीश के झा)। फुलवारीशरीफ पी.एफ.आई. टेरर मॉड्यूल से संबंधित मामले में टेरर फंडिंग के आरोप में जेल में बंद 6 अभियुक्तों को पटना उच्च न्यायालय ने बीते शुक्रवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया है। विदित हो कि 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना दौरे से पहले गड़बड़ी की आशंका को देखते हुये फुलवारी शरीफ थाना ने इलाके के अहमद पैलेस पर छापामारी कर इसमें चल रहे ट्रेनिंग कैंप का उद्भेदन किया था, जहाँ पुलिस को भारी मात्रा में पी.एफ.आई. संस्था के झंडे एवं भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने से संबंधित साहित्य बरामद किया था। आगे की जाँच में इस मामले के तार कर्नाटक राज्य के दक्षिण कन्नड़ जिला एवं केरल के कासरगोड़ से जुड़ी हुये पाए गये। बाद में पुलिस ने इन छः में से 5 आरोपी, (i)मोहम्मद सीनान, (ii) इकबाल, (iii)सरफराज नवाज, (iv)अब्दुल रफीक (v)आबिद के.एम. को कर्नाटक एवं केरल से गिरफ्तार किया था तथा छठा आरोपी अरमान मलिक उर्फ मोहम्मद इम्तियाज अनवर को बिहार से गिरफ्तार किया था। केरल एवं कर्नाटक से गिरफ्तार किये गये आरोपियों पर फुलवारी और मोतिहारी मॉड्यूल के पी.एफ.आई. के सदस्यों को विदेश से फंड इकट्ठा कर आतंकवादी गतिविधि चलाने के उद्देश्य से भारत में भेजने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के सुसंगत धाराओं के अंतर्गत आरोपित किया गया था। इन आरोपों के बाद सितंबर 2022 में पी.एफ.आई. संस्था को प्रतिबंधित कर दिया गया।

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