- आज किया जाएगा प्रदोष पर खिचड़ी की प्रसादी का वितरण
देवी सती के 10 स्वरूपों को दस महाविद्याओं के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के दिनों में इन अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए अलग-अलग विद्याओं की साधना की जाती है। इन महाविद्याओं की साधना पूरे विधि-विधान के साथ ही की जाती है। अगर साधना में कुछ गलती हो जाती है तो पूजा-पाठ का उल्टा असर भी हो सकता है। इसीलिए इन महाविद्याओं की साधना किसी विशेषज्ञ पंडित के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए। इनके मंत्रों का जाप बिल्कुल सही उच्चारण के साथ ही करना चाहिए। इनमें पहली विद्या हैं देवी काली, दूसरी हैं देवी तारा, तीसरी त्रिपुरा सुंदरी, चौथी भुवनेश्वरी, पांचवीं छिन्नमस्ता, छठी त्रिपुरा भैरवी, सातवीं धूमावती, आठवीं बगलामुखी, नौवीं मातंगी और दसवीं विद्या हैं देवी कमला। इन दस महाविद्याओं के तीन समूह हैं। पहले समूह में सौम्य कोटि की प्रकृति की त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला शामिल हैं। दूसरे समूह में उग्र कोटि की काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी माता शामिल हैं। तीसरे समूह में सौम्य उग्र प्रकृति की तारा और त्रिपुरा भैरवी शामिल हैं। शिव प्रदोष सेवा समिति की ओर से मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि लगातार 30 दिनों तक आयोजित वैशाख महापर्व के अंतर्गत दस महाविद्याओं का आह्वान के साथ शुक्रवार को प्रदोष पर खिचड़ी की प्रसादी का वितरण किया जाएगा।
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