प्रो झा ने कहा कि आजादी आंदोलन में मिथिला क्षेत्र के लोगों का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में तत्कालीन लोगो ने अपना बलिदान तक देश के लिए दिया था आजादी के तुरंत बाद सर्वप्रथम मिथिला केसरी बाबू जानकी नंदन सिंह जी ने पृथक मिथिलाराज की मांग को उठाए थे इसके लिए संघर्ष भी हुआ था आज भी मिथिला क्षेत्र से लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक मिथिलाराज को लेकर धरना प्रदर्शन होता रहा है मिथिला के सभ्यता , संस्कृति एवं विद्वता समृद्धि रहते हुए भी मिथिला क्षेत्र देश के अन्य क्षेत्रों से पीछे एवं अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर है यहां के लोग कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ से परेशान हैं भुखमरी एवं पलायन ही इसके भाग्य में लगता है लिखा हुआ है जबकि मिथिला क्षेत्र के भूभाग में अनेकों उद्योग था जो आज भी बंद पड़ा हुआ है , मातृभाषा मैथिली शासन प्रशासन से उपेक्षित हैं रोजगार का घोर अभाव है , उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थान आज भी मिथिला क्षेत्र में नहीं है , राष्ट्रीय औसत आय से मिथिला क्षेत्र के लोगों का आय अत्यधिक कम है साथ ही विकास काम भी न के बराबर हो रहा है इसलिए इन समस्याओं का एकमात्र निधान है ब्रिटिशकाल में मधुबनी के तत्कालीन अनुमंडल अधिकारी जार्ज अब्राहन ग्रियर्सन के मिथिला क्षेत्र का नक्शा के आधार पर पृथक मिथिला राज का मांग सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होता है।
प्रो झा ने 22 सूत्री मांग में मिथिलाराज या तत्काल मिथिला विकास बोर्ड गठन , बंद पड़े सभी उद्योग को चालू करने एवं नए उद्योग का निर्माण, मिथिला क्षेत्र में राजकाज का भाषा मैथिली में हो , प्राइमरी से लेकर उच्च माध्यमिक शिक्षा मैथिली में एवं मैथिली को अनिवार्य विषय घोषित करने , मैथिली को शास्त्रीय भाषा घोषित करने ,मैथिली शिक्षकों की बहाली एवं पुस्तकों का प्रकाशन , विश्व प्रसिद्द मधुबनी खादी उद्योग को पुनर्जीवित करने, दरभंगा में हाई कोर्ट का एक बेंच का निर्माण , मधुबनी से माता सीता जी नगरी सीतामढ़ी तक नई रेल लाइन का निर्माण, मधुबनी में केंद्रीय विद्यालय का निर्माण , आईआईएम एवं आई आई टी संस्थाओं का निर्माण , मधुबनी रेलवे स्टेशन का नामकरण कालिदास विद्यापति स्टेशन घोषित करना,मिथिला क्षेत्र के सभी प्रमुख दर्शनीय एवं प्रसिद्द स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने , मिथिला के पांडुलिपि को संरक्षण एवं संवर्धन करने , मिथिला क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं रेलवे का विस्तारीकरण, मिथिला विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा सहित मिथिला गौरव स्व ललित नारायण मिश्रा को भारत रत्न से सम्मानित करने का आग्रह करते हुए मिथिला के चौमुखी विकास के लिए मिथिलाराज निर्माण के दिशा में आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया ।

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