सीहोर : बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए और बांग्लादेशी रोहिंग्या घुसपैठियों को भगाया जाए - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 19 अप्रैल 2025

सीहोर : बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए और बांग्लादेशी रोहिंग्या घुसपैठियों को भगाया जाए

  • बंगाल में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर सनातन धर्मियों ने निकाला विरोध मार्च
  • कलेक्ट्रेट में कोई ज्ञापन लेने नहीं आया तो प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर किया चक्काजाम

Sehore-bjp
सीहोर। बंगाल में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों से आका्रेशित सर्वहिन्दू समाज के लोग शनिवार को सड़क पर उतर गए। सनातन धर्मियों ने टाउनहाल से कलेक्ट्रेट कार्यालय तक पैदल विरोध मार्च निकाला। पंश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सैकड़ों लोग बेनर पोस्टर तख्तियों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और प्रदर्शन किया। कलेक्ट्रेट में काफी देर तक जब कोई अधिकारी प्रदर्शनकारियों से ज्ञापन लेने नहीं पहुंचा तो आका्रेशित सर्वहिन्दू समाज के लोगों ने कलेक्ट्रेट के सामने सड़क के दोनों तरफ बाइके लगाकर बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाए जाने,बंगाल की हिंसा की जांच कराई जाने, दोषियों को अविलंब दंडित किए जाने, कानून व्यवस्था का संचालन केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथों में दिए जाने और बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उनको निष्कासित किए जाने के साथ बंगाल व बांग्लादेश की 450 किलोमीटर की सीमा पर तार लगाने का काम अविलंब प्रारंभ किया जाए की मांग का लेकर चक्कजाम कर दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात रहा लेकिन पुलिस अमला प्रदर्शनकारियों को चक्काजाम करने से नहीं रोक पाया।


चक्काजाम होते हुए कलेक्ट्रेट से बस स्टेंड और भोपाल नाका तरफ सड़क पर अफरा तफरी का माहौल निर्मित हो गया। प्रदर्शनकारियों ने अग्रिशमन और एंबुलेंस को तो जाने दिया लेकिन अन्य दो व चार पहिया वाहन चालकों और यात्रियों को रोक दिया गया। सड़क से निकलने वाले बस ट्रक बाइक ऑटो वालों को रास्ता बदलना पड़ा तो वही अन्य वाहन बुरी तरह फस गए जिसकारण उन्हे चक्काजाम समाप्त होने का इंतजार करना पड़ा। लगभग आघे घंटे बाद कलेक्टर के निर्देश पर डिप्टी कलेक्टर तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सर्वहिन्दू समाजजनों से लिया जिस के बाद चक्काजाम खत्म किया गया। राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सर्व सनातन धर्मियों ने कहा कि वक्फ कानून के विरोध की आड़ में संपूर्ण बंगाल को जिस प्रकार हिंसा की आग में जलाया जा रहा है, हिंदुओं को प्रताडि़त किया जा रहा है, राष्ट्र विरोधी और हिंदू विरोधी तत्वों को निर्बाध रूप से अपने षडयंत्रों को क्रियान्वित करने की खुली छूट दी जा रही है, उससे स्पष्ट लगता है कि बंगाल की स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है। मुर्शिदाबाद से प्रारम्भ हुई यह भीषण हिंसा अब संपूर्ण बंगाल में फैलती हुई दिखाई दे रही है। शासकीय तंत्र दंगाइयों के सामने केवल निष्क्रिय ही नहीं अपितु कई स्थानों पर इनका सहायक या प्रेरक बन गया है। इससे पहले कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए, केंद्र सरकार को प्रशासन का नियंत्रण व संचालन अपने हाथ में लेकर राष्ट्र विरोधी व हिंदू विरोधी तत्वों को उनके कुकर्मों के लिए कठोरता सजा दिलवानी चाहिए।


 सर्व समाज सनातन धर्मियों ने कहा कि मुस्लिम भीड़ द्वारा 11 अप्रैल को वक्फ  कानून के विरोध के नाम पर कानून बनाने वाली सरकार के विरोध में नहीं अपितु हिंदुओं पर हिंसक आक्रमण किया। जबकि हिंदू समाज का इस कानून के निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी और यह एक शुद्ध संवैधानिक प्रक्रिया थी । इसका स्पष्ट अर्थ है कि वक्फ तो केवल बहाना था, असली उद्देश्य मुर्शिदाबाद को हिंदू शून्य बनाना था। इस उन्मादी जिहादी भीड़ ने हिंदुओं के 200 से अधिक घरों और व्यावसायिक दुकानों को लूटकर जलाया, सैकड़ो हिंदुओं को बुरी तरह घायल किया व तीन नागरिकों की निर्मम हत्या की गई। दजज़्नों महिलाओं के शीलभंग भी किए गए। परिणाम स्वरूप 500 से अधिक हिंदू परिवारों को मुर्शिदाबाद से पलायन करना पड़ा । यह कि अब ममता सरकार भारत के संघीय ढांचे को बंगाल में ध्वस्त कर अपनी सरकार और वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। बंगाल में राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में आ चुकी है। बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों को निर्बाध रूप से आने दिया जा रहा है। उनके आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। पाकिस्तानी तथा बांग्लादेशी आतंकी संगठनों की सक्रियता बढ़ती जा रही है । हिंदुओं के प्रति हिंसा बढ़ती जा रही है और न्यायालय के आदेश पर ही हिंदू त्योहारों को मनाने की अनुमति मिल पाती है । हिन्दुओं को सुरक्षा देने वाले अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया जाता है। हिंदू का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी है।तृणमूल के असामाजिक तत्व व जिहादी गुंडो के नियंत्रण व निर्देश पर ही प्रशासन काम करने के लिए विवश है ।

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