सीहोर : आज किया जाएगा शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान, भव्य यज्ञशाला का किया निर्माण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 13 अप्रैल 2025

सीहोर : आज किया जाएगा शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान, भव्य यज्ञशाला का किया निर्माण

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सीहोर। शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में एक माह तक आयोजित होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान वैशाख महापर्व की तैयारियां पूर्ण की गई है। यहां पर होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान के लिए भव्य यज्ञशाला का निर्माण किया है। इसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन वेद मंत्रों के साथ आहुतियां देंगे। गत दिनों शहर के सीवन नदी के तट पर स्थित हनुमान मंदिर पर भगवान शिव परिवार की पूजा अर्चना की गई और इसके पश्चात महायज्ञ की तैयारियों के तहत ध्वज पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। यज्ञाचार्य पंडित पवन व्यास, कुणाल व्यास, विधि-विधान से गणेश पूजन किया। इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ ध्वज और भूमि पूजन संपन्न हुआ। इस मौके पर यजमान अमित सोनी, गोपाल बाबा आदि को पंडित कार्तिक ने वेद मंत्रों के साथ यहां पर उपस्थित श्रद्धालुओं के साथ ध्वजारोहण किया गया। रविवार को यहां पर पहुंचे पार्षद राजेश मांझी ने नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर से गोपाल धाम पर एक हजार लीटर पानी की टंकी के अलावा अन्य समस्याओं के बारे में चर्चा की। इस मौके पर नगर पालिका अध्यक्ष श्री राठौर ने समस्याओं का तत्काल निराकरण भी किया है।


जलधारा से किया जाएगा नियमित रूप से अभिषेक

 शिव प्रदोष सेवा समिति की ओर से मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि भगवान शिव ने जन कल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकला जहर पिया था। उस जहर की गर्मी से उनका शरीर नीला हो गया। उस गर्मी को कम करने के लिए ही शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है। वैशाख महीने में गर्मी बहुत बढ़ जाती है। इसलिए इस महीने में खासतौर से शिवालयों में जल दान का विधान है। यही वजह है कि शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के ऊपर जलधारा के लिए पानी से भरी मटकी में छेद कर कुशा लगाई जाती है जिससे लगातार शिवलिंग पर जल टपकता रहे। स्कंद और शिव पुराण के मुताबिक वैशाख महीने में सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विधान बताया है। इसके लिए तांबे के लोटे में साफ पानी या तीर्थ का जल भरें। उसमें गंगाजल की कुछ बूंदे और सफेद फूल डालें। शिवालय जाकर ये जल शिवलिंग पर चढ़ा दें। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप, रोग, शोक और दोष दूर हो जाते हैं। पुराणों में शिव पूजा के लिए वैशाख का महत्व पुराणों में बताया गया है कि श्रावण से पहले वैशाख महीने में भी शिव की विशेष आराधना करनी चाहिए। वैशाख में तेज गर्मी पड़ती है, इसलिए शिव पर जलधारा लगाई जाती है। वैशाख महीने के दौरान तीर्थ स्नान और दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में पशु-पक्षियों को भी जल पिलाने की व्यवस्था किए जाने की परंपरा है। जिसका विशेष पुण्य फल मिलता है। 

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