ओवैसी वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति के एक सदस्य थे। उन्होंने आरोप लगाया कि नया कानून वक्फ को "नष्ट" करने के लिए बनाया गया है। एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा, ‘‘आपने (पिछले कानून से) अच्छे प्रावधानों को हटा दिया। मुझे बताइये कि (नये कानून में) कौन सी धाराएं अच्छी हैं... न तो सरकार और न ही उनके समर्थन में बैठे लोग बता पाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि दाऊदी बोहरा चाहते थे कि उन्हें वक्फ कानून के दायरे से बाहर रखा जाए। ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है और दावा किया है कि यह कानून संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उच्चतम न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद है, क्योंकि यह एक असंवैधानिक कानून है।’’ उनकी यह टिप्पणी पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहे जाने के बाद आयी है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में अंतरिम राहत देने के मुद्दे पर 20 मई को सुनवाई करेगा।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ‘वक्फ बाई यूजर’ या ‘वक्फ बाई डीड’ द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के अधिकार समेत तीन मुद्दों पर अंतरिम निर्देश पारित करने के मामले में दलीलें सुनेगी। दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित याचिकाओं में उठाया गया है। तीसरा मुद्दा उस प्रावधान से संबंधित है, जिसके अनुसार, जब जिलाधिकारी यह पता लगाने के लिए जांच करेगा कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा। यूसीसी पर ओवैसी ने सवाल किया कि जब अलग-अलग मुद्दों के लिए कई अलग-अलग कानून हैं, तो इसे 'समान' कैसे कहा जा सकता है। ओवैसी ने सवाल किया, ‘‘जब आप आदिवासियों को अलग रख रहे हैं, हिंदू विवाह अधिनियम और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम को अलग रख रहे हैं, तो यह समान कैसे हो सकता है? हमारे देश में, एक विशेष विवाह अधिनियम और भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम (आईएसए) है। क्या आप मिताक्षरा या दायभाग स्कूल का पालन करेंगे?’’ मिताक्षरा और दायभाग हिंदू कानून के दो स्कूल (विधिक दृष्टिकोण) हैं, जो उत्तराधिकार कानूनों से संबंधित हैं। एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा कि भारत की विविधता को समझने की जरूरत है और कहा कि ‘‘किसी के विचार दूसरों पर नहीं थोपे जा सकते।’’

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