- इस जगत में उसी का जन्म धन्य है, जिसको माता-पिता के वचन और आज्ञ प्राणों के समान प्रिय-संत उद्ववदास महाराज
इस जगत में उसी का जन्म धन्य
संत उद्ववदास महाराज ने भगवान के वनवास प्रसंग का विस्तार से वर्णन करते हुए कहाकि जहां भगवान राम कहते हैं कि इस जगत में उसी का जन्म धन्य है, जिसको माता-पिता के वचन और आज्ञ प्राणों के समान प्रिय हैं, उसके साथ में चारों पदार्थ अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष रहते हैं। राम कहते हैं हे मां पुत्र वही है जो माता-पिता के वचनों का अनुरागी है। दूसरी ओर जीवन और जगत से अपने पुत्रों के प्रति माता का जुड़ाव ही उनके ह्रदय का विराट तत्व है। राम वन गमन के समय मां कौशल्या की पीड़ा अत्यंत द्रवीभूत होती है, हृदय में कंपन सा है, जीवन की यह यात्रा बोझिल हो गई है, शरीर की नाड़ियां निष्प्राण होने लगी हैं। मां का पुत्र के प्रति यह कैसा प्रेम, जहां राम का वनगमन मां कौशल्या के जीवन की सारी आशाएं क्षीण हो रही थीं, वहां सिर्फ पुत्र के प्रेम की ही अभिलाषा है कि वह अपनी मनोव्यथा से उबरने के लिए स्वयं को स्वयं ही समझाने का अनुरोध करती है। यह प्रसंग मानस की करुण व्यथा का सशक्त उदाहरण है। मां का पुत्र के प्रति कर्तव्य की अनन्य अभिव्यक्ति इस दोहे से परिलक्षित होती है, जब मां बार-बार दुख से कातर हो रही है, तब भगवान राम उनको ह्रदय से लगाते हैं- राम उठाई मातु उर लाई। भगवान राम आगे लखन को भी समझाते हैं- हे भाई इस जगत में माता-पिता की सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। तुम यहीं रहकर उनकी सेवा करो, लेकिन अंतत वे राम के ही साथ हो लिए। माता कैकेयी का भी अपनी पुत्रों से प्रेम अथाह है, तभी तो राम जब अयोध्या लौटते हैं तो सबसे पहले माता कैकेयी के भवन मे जाते हैं। कैकेयी को भी सही दिशा नजर नहीं आती, उसकी वेदना के जल की थाह नहीं है। कैकेयी ऐसी स्थिति में है जहां राम वनगमन के समय खुशहाली की ओर जाने का रास्ता नजर नहीं आता, वह इससे न मुक्त हो रही है न झेल पा रही है।
24 मई को कथा का विश्राम
शहर के रुकमणी गार्डन में चित्रांश समाज और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा सीहोर के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के संबंध में जानकारी देते हुए जिलाध्यक्ष प्रदीप कुमार सक्सेना और शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि आगामी 24 मई को कथा का विश्राम किया जाएगा। इस मौके पर महाआरती और महाप्रसादी का वितरण किया जाएगा। उन्होंने क्षेत्रवासियों से कथा का श्रवण करने की अपील की।

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