डॉ० शिबन कृष्ण रैणा
पिछले दिनों भारत सरकार ने जो दल (प्रतिनिधी मंडल) देश का पक्ष रखने के लिये गठित किये और उनको बाहर कुछ प्रमुख देशों में भेजा, उन में एक दल के नेता शशि थरूर भी बनाए गये है। इस बात को लेकर कांग्रेस में खासी बेचेनी है और थरूर को बुरा-भला भी कहा जा रहा है।मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शशि थरूर एक परले दर्जे के मेधावी स्कालर चिन्तक राजनयिक और विज्ञ व्यक्ति हैं। विश्व के विकसित देशों में खास तौर पर मध्य-पूर्व में वे खूब पढ़े और जाने-समझे जाते हैं।उनके असंख्य फोल्लोवर्स हैं जो उनकी विद्वत्ता के कायल है। अगर शशि थरूर का प्रतिनिधि मण्डल में चथन किया किया गया है तो यह निसंदेह देशहित में ही होगा।कूटनीति भी यही कहती है कि विपक्ष में अगर कोई मोती है तो उसे भी ग्रहण करना चाहिए। बहुत पहले इन्दिरा गांधी ने भी उस समय के विपक्ष के नेता अटल बिहारी जी को UNO की महासभा में भारत का पक्ष रखने के लिये भेजा था। कभी-कभी ‘कूटनीति वश' कुछ इस तरह के निर्णय लेने पड़ते हैं।

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