- "सशक्त भारत: ग्रामीण नवाचार एवं आत्मनिर्भर भारत" विषय पर आयोजित हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी
मुख्य वक्ताओं के विचार:
श्री कमल ताओरी (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी) ने कहा, “भारत का भविष्य गांवों में है। पंचगव्य आधारित खेती, ग्राम उद्योग और स्वदेशी नवाचार से ही भारत आत्मनिर्भर बन सकता है। इंजीनियरिंग शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री नहीं बल्कि समाज सेवा और समाधान निर्माण होना चाहिए।” श्रीमती कल्पना इनामदार (कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक आंदोलन) ने अपने प्रेरक भाषण में कहा, “महिला नेतृत्व के बिना कोई भी आंदोलन अधूरा है। ग्रामीण महिलाएं यदि संगठित हो जाएं, तो गांव से ही देश का पुनर्निर्माण संभव है।” श्री प्रदीप चौधरी (अध्यक्ष, अनादी फाउंडेशन) ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “गांव को प्रयोगशाला बनाइए, वहां जाकर सस्ते, सुलभ और टिकाऊ समाधान विकसित कीजिए। यही असली नवाचार है।” श्री तरुण (राष्ट्रीय लोक आंदोलन न्यास) ने युवाओं को आह्वान किया कि “लोक आंदोलन तभी सफल होगा जब विद्यार्थी वर्ग उससे जुड़ेगा और ज़मीनी स्तर पर बदलाव की बुनियाद बनेगा।” श्री प्रमोद गुप्ता (NDTV पत्रकार) ने मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मीडिया को शहरी चमक-दमक से हटकर ग्रामीण भारत की सच्चाई, चुनौतियों और संभावनाओं को सामने लाना चाहिए।” डॉ. सुमन सिंह (सचिव, सखी बिहार) ने कहा, “ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और आत्मनिर्भरता को केंद्र में रखकर नीतियां बनानी होंगी।” डॉ. पी.एम. मिश्रा (पूर्व निदेशक, WIT) ने कहा, “तकनीकी संस्थानों को चाहिए कि वे सामाजिक सरोकार से जुड़ें और शिक्षा को सेवा से जोड़ें।” कॉलेज प्राचार्य डॉ. संदीप तिवारी ने इस अवसर पर कहा, “DCE समाजोन्मुख शिक्षा का प्रतीक बन रहा है। हम छात्रों को केवल तकनीकी ज्ञान नहीं, बल्कि समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा भी दे रहे हैं।”

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