कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता, देवर्षि नारद, पं. मदन मोहन मालवीय एवं पं. दीनदयाल उपाध्याय के चित्रों पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। छात्राओं ने विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया। इसके बाद पत्रकारों, संघ सदस्यों एवं समाजसेवियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि हितेश शंकर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय सेना की स्पष्टता, सटीकता और सजगता प्रेरणादायी है। उन्होंने मीडिया को चेताया कि किसी अपराधी के प्रति अनावश्यक सहानुभूति उत्पन्न करने वाली रिपोर्टिंग से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि युद्ध जैसी संवेदनशील परिस्थितियों में मीडिया की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में मीडिया को अति-संवेदनशील, संयमित और राष्ट्रहितकारी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। गलत या अधूरी सूचनाएं दुश्मन के दुष्प्रचार को बल दे सकती हैं।“ उन्होंने कहा कि भारत के साइबर योद्धाओं ने युद्धकाल में जिस सूझबूझ से काम किया, वह सराहनीय है। मीडिया को तथ्यों की पुष्टि कर ही धारणा बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नारद मुनि जब पत्रकार थे तो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं बल्कि मौखिक मीडिया था। और मौखिक पब्लिसिटी की अपनी महत्ता है। उन्होंने कहा कि इस समय देश में हो रही खोजों पर पत्रकारिता कम हो गई है। वर्तमान में केंद्र सरकार शोधों को बढ़ावा दे रही है और आर्थिक प्रोत्साहन भी दे रही है।
विशिष्ट अतिथि सुभाष जी (क्षेत्र प्रचार प्रमुख, आर.एस.एस.) ने “शील ही संदेश है“ के भाव को केंद्र में रखते हुए कहा, “देवर्षि नारद जी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि पत्रकारिता केवल सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि चरित्र और विश्वास का दायित्व है। उनकी वाणी और व्यवहार स्वयं समाज के लिए प्रमाण थे।“ उन्होंने रामचरितमानस की चौपाई “नारद वचन मृषा नहीं होई” का उदाहरण देते हुए कहा कि नारद जी के वचन सदैव सत्य, सार्थक और लोकमंगलकारी होते थे। उन्होंने कहा कि भारतीय पत्रकारिता का मूल स्वभाव राष्ट्ररक्षा और समाज कल्याण रहा है। डॉ ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि नारद भक्ति, ज्ञान, गीत, कविता, संवाद, के साथ साथ लोकमंगल के पर्याय हैं। वे विश्व के प्रथम पत्रकार हैं। नारद के चरित्र में लोकमंगल प्रेम, न्याय और सद्भाव के रूप में दिखाई देता है। तीनों लोकों में लोग उनकी प्रतीक्षा करते थे। ऐसी ही पत्रकारिता लोकमंगल के लिए आज हमें चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं चेतना प्रवाह’ के प्रबंध संपादक एवं ’प्रांत जागरण पत्रिका, प्रमुख’ नागेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि आज के समय में लोक मंगल का अर्थ भारत का चहुंमुखी विकास है। इस विकसित भारत में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसके लिए सकारात्मक पत्रकारिता आज के समय की आवश्यकता है। समाज के सामाजिक समरसता के प्रयासों को पत्रकारों को उठाने की आवश्यकता है। पर्यावरण, परिवार, समरसता सभी क्षेत्रों में सकारात्मक प्रयास हो रहे हैं। स्व का बोध और पंच परिवर्तन समाज में रच बस गए हैं उन्हे पत्रकारों द्वारा प्रचारित करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. हेमंत गुप्ता (कार्यवाहक अध्यक्ष, विश्व संवाद केंद्र काशी) ने कहा कि देवर्षि नारद जी से संवाद की सार्थकता और सार्थक प्रवास का प्रेरणा मिलती है। पत्रकारों को केवल खबर देने तक सीमित न रहकर, समाज की समस्याओं का समाधान तलाशना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुमकुम पाठक, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सत्यप्रकाश पाल एवं सह संयोजन डॉ. अजय परमार ने किया। उपस्थित गणमान्यजनों में रामाशीष जी (प्रज्ञा प्रवाह), डॉ. वीरेंद्र जायसवाल (क्षेत्र कार्यवाह, आरएसएस), रमेश जी (प्रांत प्रचारक), अजय जी (पर्यावरण संयोजक), नागेंद्र जी (जागरण पत्रिका) एवं प्रो. तेज प्रताप सिंह सहित बड़ी संख्या में पत्रकार, छात्र एवं नागरिक उपस्थित रहे। अंत में कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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