बिहार सरकार के उद्योग मंत्री श्री नितीश मिश्रा ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि “बिहार पूर्वी भारत का ग्रोथ इंजन बनने की क्षमता रखता है।” उन्होंने मुजफ्फरपुर में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मेगा फूड पार्क का उल्लेख किया और निवेशकों से बिहार के औद्योगिक ढांचे का लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने 7 दिनों में भूमि आवंटन और सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम की तत्परता को भी रेखांकित किया। उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को किसानों की आय दोगुनी करने का सबसे अच्छा माध्यम बताया। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान ने अपने उद्घाटन संबोधन में सरकार की “विकसित भारत @2047” की दृष्टि को दोहराया। उन्होंने कहा, “यह अंतरराष्ट्रीय खरीदार-विक्रेता मिलन सिर्फ एक व्यापारिक आयोजन नहीं, बल्कि ग्रामीण समृद्धि के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है।” उन्होंने यह भी कहा, “हम envision करते हैं कि बिहार के युवा रोजगार लेने वाले नहीं, रोजगार देने वाले बनें। हर निवेशक को सरकार पूरी सहायता देगी।” उन्होंने बिहार की सभ्यतागत विरासत का भी उल्लेख करते हुए कहा कि “आर्यभट्ट, सीता माता, चाणक्य, भगवान महावीर और भगवान बुद्ध की भूमि—बिहार ने सदैव देश को दिशा दी है। अब यही क्षमता खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को गति देगी।” उन्होंने यह भी कहा, “बिहार की उर्वर भूमि और उद्यमशीलता की भावना भारत को वैश्विक खाद्य टोकरी बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएगी।” उन्होंने कहा कि विकसित बिहार की कल्पना, विकसित भारत की दृष्टि से जुड़ी हुई है। श्री पासवान ने यह भी साझा किया कि वित्त वर्ष 2024–25 में PMFME योजना के तहत बिहार में 10,270 ऋण मंजूर किए गए, जिनकी कुल राशि ₹624.42 करोड़ है—यह किसी भी राज्य में सबसे अधिक है। उन्होंने इसे बिहार के सूक्ष्म उद्यमियों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और उनकी योजनाओं में विश्वास का प्रमाण बताया। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय की प्राचीन महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार में नया NIFTEM संस्थान उसी विरासत को आगे बढ़ाएगा और खाद्य प्रौद्योगिकी में नवाचार, अनुसंधान और प्रशिक्षण का केंद्र बनेगा। “बुद्धिमत्ता की भूमि से खाद्य नवाचार की भूमि बनने की दिशा में बिहार तैयार है,” उन्होंने कहा।
केंद्रीय मंत्री ने सभी हितधारकों को World Food India 2025 में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया, जो भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमताओं को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करेगा। उन्होंने “भारत के मखाना निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीतियाँ” नामक एक रणनीतिक रिपोर्ट का भी शुभारंभ किया, जो मखाना उत्पाद में बिहार की अग्रणी भूमिका को दर्शाता है। गौरतलब है कि 12 कंपनियों ने चावल, दालें, मसाले, फल, सब्जियां और मखाना जैसे उत्पादों के लिए बिहार से खरीद की प्रतिबद्धता जताई—जो दीर्घकालिक सोर्सिंग साझेदारी की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। सत्र का समापन TPCI अध्यक्ष के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग की सराहना की और इस आयोजन से उत्पन्न निवेश और निर्यात गति पर आशा व्यक्त की। बिहार अंतरराष्ट्रीय खरीदार-विक्रेता मिलन 2025, भारत के खाद्य प्रसंस्करण एवं कृषि निर्यात परिदृश्य में बिहार की स्थिति को सशक्त बनाने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में उभरा है। इस दो दिवसीय आयोजन में विशेष B2B सत्र, तकनीकी क्षमतावर्द्धन सत्र और राज्य के विविध खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य-वर्धित उत्पादों की प्रदर्शनी शामिल हैं। यह कार्यक्रम राज्य के आर्थिक विकास को नई दिशा देने, निवेश आकर्षित करने और साझेदारियों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक उत्प्रेरक सिद्ध होगा।
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