सम्मेलन में निम्नलिखित विशिष्ट अतिथियों ने भी अपने विचार साझा किए:
प्रो. यू. सी. राय, पूर्व निदेशक, NIT पटना: "शोध और नवाचार की संस्कृति को संस्थागत रूप देना ही तकनीकी संस्थानों की असली जिम्मेदारी है।" प्रो. विवेकानंद सिंह, कुलपति, पूर्णिया विश्वविद्यालय: "तकनीकी शिक्षा के साथ मानवीय मूल्य और सामाजिक उत्तरदायित्व भी जरूरी हैं।" डॉ. प्रतापसिंह काकासाहेब देसाई, अध्यक्ष, ISTE, नई दिल्ली: "भारत को तकनीकी नेतृत्व में अग्रणी बनाने के लिए शिक्षकों और शोधकर्ताओं की सतत भागीदारी आवश्यक है।" प्रभात कुमार सिन्हा, चेयरमैन, ICC बिहार: "इंडस्ट्री-इंस्टीट्यूट इंटरेक्शन से ही युवाओं को रोजगारोन्मुखी कौशल मिलेगा।" प्रितम कुमार सिन्हा, सलाहकार, सेंटर फॉर स्मार्ट गवर्नेंस: "अब समय आ गया है कि भारत डिजिटल गवर्नेंस में वैश्विक मानक स्थापित करे।" ज्ञानेंद्र शरण, निदेशक, इंफोटेक: "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन में युवाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी।"
सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियाँ:
कुल 275 शोध सारांश, जिनमें से 177 चयनित हुए। बिहार (24%) व उत्तर प्रदेश (20%) से सबसे अधिक भागीदारी, साथ ही महाराष्ट्र, केरल, झारखंड, दिल्ली आदि राज्यों से सहभागिता। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका, चेक गणराज्य, दक्षिण अफ्रीका, चिली, यूएई समेत 6 देशों से शोध-पत्र प्राप्त।
94% शोध-पत्र भारत से व 6% अंतरराष्ट्रीय स्तर से।
सम्मेलन के दौरान अनेक कीनोट वक्ताओं ने उभरती तकनीकों, स्टार्टअप संस्कृति, नवाचार, और शिक्षण में उन्नत विधियों पर व्याख्यान दिए। समापन समारोह कल, 25 May 2025 को DCE दरभंगा में होगा, जिसमें उत्कृष्ट शोधकर्ताओं को सम्मानित किया जाएगा।

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