- केवल एक वर्ष में जेब से किए जाने वाले चिकित्सा खर्च में 1000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत
वर्तमान में बिहार में 1100 से अधिक अस्पताल इस योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं, जिनमें से लगभग 50% निजी अस्पताल हैं। सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य संस्थानों की यह संतुलित भागीदारी सेवा वितरण में सुधार, प्रतीक्षा समय में कमी, और चिकित्सा सुविधाओं को लोगों के नज़दीक लाने में सहायक रही है। इस योजना के पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्वास्थ्य अभिकरण द्वारा कई विशेष पहल की गई हैं। इनमें डिजिटल निगरानी, सशक्त शिकायत निवारण प्रणाली, नियमित लेखा-परीक्षण और ज़मीनी स्तर पर जागरूकता अभियान शामिल हैं। राज्य स्वास्थ्य अभिकरण की प्रतिबद्धता है कि किसी भी स्तर पर खामियों को दूर कर वास्तविक लाभार्थियों — यानी बिहार की जनता — को पूरी सहायता सुनिश्चित की जाए। अधिकारियों का मानना है कि आयुष्मान भारत पीएम-जय के तहत उठाए गए इन परिवर्तनकारी कदमों से न केवल स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार हो रहा है, बल्कि ग्रामीण संकट को कम करने, चिकित्सा ऋण से मुक्ति दिलाने, और आर्थिक व सामाजिक रूप से परिवारों को सशक्त बनाने में भी अहम भूमिका निभाई जा रही है। जैसे-जैसे बिहार सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में नए मानक स्थापित कर रहा है, आयुष्मान भारत योजना यह साबित कर रही है कि सक्रिय शासन और समावेशी नीतियां ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का चेहरा पूरी तरह बदल सकती हैं।

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