वाराणसी : बिरहा सम्राट "हीरालाल यादव द्वार" से अमर हुई बिरहा परंपरा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 8 जून 2025

वाराणसी : बिरहा सम्राट "हीरालाल यादव द्वार" से अमर हुई बिरहा परंपरा

  •  राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने किया लोकार्पण, विधायक निधि से 7.94 लाख की लागत से बना स्मृति द्वार

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वाराणसी (सुरेश गांधी)।  काशी में जहां शब्द संगीत बनते हैं, वहां बिरहा सम्राट की स्मृति अब द्वार बनकर अमर हो गई है. लोकगायन की बिरहा परंपरा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले पद्मश्री हीरालाल यादव अब काशी की धरती पर स्थायी स्मृति बन चुके हैं। रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने चौकाघाट स्थित सांस्कृतिक संकुल के पास "हीरालाल यादव द्वार" का लोकार्पण किया। यह द्वार मंत्री द्वारा अपनी विधायक निधि वर्ष 2024-25 से 7.94 लाख रुपये की लागत से बनवाया गया है। लोकार्पण के दौरान क्षेत्रीय जनता की उपस्थिति ने यह जता दिया कि लोकगायक हीरालाल यादव न केवल एक नाम थे, बल्कि एक लोकध्वनि थे जो अब स्मृति द्वार बनकर जीवित रहेंगे।


बिरहा गायकी को दिलाई पहचान

मंत्री जायसवाल ने कहा कि, "हीरालाल यादव जी ने बिरहा गायन की परंपरा को घर-घर तक पहुंचाया। उन्होंने लोकगायक रमन दास से गायन सीखा और पारंपरिक मंचों से लेकर ऑल इंडिया रेडियो व दूरदर्शन जैसे प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर उत्तर प्रदेश की लोकसंस्कृति को देशभर में पहचान दिलाई।" कार्यक्रम में एमएलसी धर्मेंद्र सिंह, पूर्व एमएलसी शिवनाथ यादव, मंडल अध्यक्ष अतुल सिंह, पार्षदगण अशोक मौर्य, बृजेश श्रीवास्तव, सिद्धनाथ शर्मा, सुशील गुप्ता, बलिराम कन्नौजिया, सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कवि मंगल यादव, सत्यनारायण यादव, तथा अनेक सांस्कृतिक प्रेमियों व हीरालाल जी के अनुयायियों ने द्वार पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।


धरोहर बनकर प्रेरणा देगा द्वार

यह स्मृति द्वार केवल एक संरचना नहीं, बल्कि लोकगायन की परंपरा और संस्कृति की वह विरासत है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। कार्यक्रम में आए लोगों ने कहा कि यह पहल वाराणसी को उसकी लोक-सांस्कृतिक पहचान से जोड़ने का सशक्त प्रयास है। 

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