भाकपा को आरएसएस से देशभक्ति सीखने की जरूरत नहीं : डी राजा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 9 जून 2025

भाकपा को आरएसएस से देशभक्ति सीखने की जरूरत नहीं : डी राजा

D-raja-cpi
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने सोमवार को कहा कि केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी भारत माता कौन हैं। राजा ने कहा कि उनकी पार्टी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से देशभक्ति सीखने की जरूरत नहीं है। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब तिरुवनंतपुरम स्थित राजभवन में विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में कथित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं से जुड़ी भारत माता की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया। इस पर नाराज़गी जताते हुए भाकपा नेता और केरल के मंत्री पी प्रसाद ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया था। केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) में भाकपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। राजा ने ? कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि केरल के राज्यपाल भारत माता और तिरंगे के बारे में क्या समझते हैं....मैंने यह मुद्दा संसद में भी उठाया है....आपकी (राज्यपाल की) भारत माता कौन हैं? कृपया हमें बताएं।’’


उन्होंने कहा, "हमारी भारत माता खेतों में काम कर रही हैं। हमारी भारत माता जंगलों में काम कर रही हैं, जल-जमीन-जंगल की रक्षा कर रही हैं। हमारी भारत माता स्कूलों में, दफ्तरों में, कारखानों में काम कर रही हैं। हमारी भारत माता सेना और रक्षा बलों में सेवा कर रही हैं। आपकी भारत माता कौन हैं? ये स्पष्ट नहीं है।" उन्होंने कहा, "वे (भाजपा-आरएसएस) सोचते हैं कि भारत माता या तिरंगा के वे अकेले ठेकेदार हैं। उन्होंने कभी इस देश की आजादी के लिए लड़ाई नहीं लड़ी। भाकपा ने औपनिवेशिक शासन से देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और सर्वोच्च बलिदान दिया... उस समय आरएसएस क्या कर रहा था?" उन्होंने पूछा, "स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस की क्या भूमिका थी? वे सोचते हैं कि भारत माता की परिभाषा आरएसएस द्वारा दी गई है? और वे सोचते हैं कि राज्यपालों के राजभवन आरएसएस भवन हैं?" राजा ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भाकपा और आरएसएस की स्थापना 1925 में ही हुई थी। डी. राजा ने कहा, "वे हमारी देशभक्ति और राष्ट्रवाद पर सवाल उठाते हैं। कम्युनिस्ट, भाजपा-आरएसएस से राष्ट्रवाद या देशभक्ति सीखने वाले आखिरी लोग हैं... राज्यपाल को नहीं पता कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम क्या है, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने क्या बलिदान दिया है।" उन्होंने कहा कि राज्यपाल को शायद देश की आजादी की लड़ाई और उसमें भाकपा के योगदान की जानकारी नहीं है।

कोई टिप्पणी नहीं: