एन. मंडल का स्पष्ट संदेश:
"अब भागीदारी नहीं, हिस्सेदारी चाहिए!
वादों से नहीं, अब सीटों से बात होगी।
जो समाज की बात करेगा, वही राज करेगा।"
एन. मंडल ने कहा कि आज़ादी के 78 साल बाद भी धानुक समाज और अन्य अति पिछड़ा वर्ग (EBC) अब भी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सत्ता — चारों क्षेत्रों में वंचित है। उन्होंने सवाल उठाया : क्या हमें अब भी सिर्फ गिनती में रखा जाएगा? क्या अब भी समाज को सिर्फ वोट बैंक समझा जाएगा? "अब सिर्फ वोट नहीं, अब सीधा प्रतिनिधित्व!" एन. मंडल ने स्पष्ट किया कि 2025 का चुनाव सिर्फ सरकार बदलने का नहीं, सत्ता में हिस्सेदारी तय करने का चुनाव होगा। उनका कहना है "हम कोई रहम के पात्र नहीं हैं, हम जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व के अधिकारी हैं। अब 'हिस्सा दो, नहीं तो गद्दी छोड़ो' का समय है।"
एन. मंडल का सोशल मीडिया पोस्ट बना चर्चा का विषय
एन. मंडल ने बीते दिनों अपने Facebook और पहले के Twitter अब X पर एक जोरदार पोस्ट साझा किया, जो पूरे राज्य में वायरल हो गया : "अब भागीदारी नहीं, हिस्सेदारी चाहिए! आज़ादी के 78 साल बाद भी ना शिक्षा में न्याय, ना रोजगार में अवसर, और ना ही सत्ता में भागीदारी! अब धानुक समाज सिर्फ वोट नहीं देगा, सीट मांगेगा! जो हमारी बात करेगा, हम उसी के साथ खड़े होंगे। सोशल मीडिया पर हजारों लाइक, शेयर और कमेंट्स के साथ यह पोस्ट धानुक युवाओं के बीच एक नई चेतना की तरह फैल गया है।
संगठन और एकता बना रही है ज़मीन
धानुक समाज के कई संगठन आज राजनीतिक चेतना और एकता के नए दौर में प्रवेश कर चुके हैं। सुपौल, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, मधेपुरा, सहरसा, बेगूसराय, बाढ़ और पटना जैसे ज़िलों में संगठनों की बैठकें, जातीय जागरण यात्रा और सामाजिक संवाद का दौर चल रहा है। एन. मंडल इस अभियान का सांस्कृतिक और सामाजिक चेहरा बनकर उभरे हैं। उन्होंने कहा "हम किसी के विरोध में नहीं, पर अब बिना प्रतिनिधित्व के समर्थन नहीं। हमारी नीति साफ है – अब सत्ता में हमारी उपस्थिति होनी चाहिए।"
मुख्य मुद्दे जो एन. मंडल ने उठाए :
जातीय जनसंख्या आधारित प्रतिनिधित्व, हर विधानसभा क्षेत्र में योग्य उम्मीदवार, पंचायत से लेकर सचिवालय तक हिस्सेदारी, शिक्षा, तकनीकी, प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्राथमिकता, सरकारी योजनाओं में आरक्षण और प्राथमिक लाभ
नारा जो गूंज रहा है :
"हिस्सा दो, नहीं तो गद्दी छोड़ो!"
"एकता — धानुकता — विजयता!"
एन. मंडल के इस सशक्त नेतृत्व और जागरूकता अभियान को देखते हुए अब यह तय माना जा रहा है कि धानुक समाज आने वाले चुनावों में राजनीतिक समीकरण बदलने की स्थिति में है।
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