इस सत्र में परमात्मा के स्वरूप का वर्णन करते हुए बी के कंचन दीदी ने बताया की गीता में भगवान कहते हैं मेरा स्वरूप अणु से भी सूक्ष्म है । मैं देखने में बिंदु लेकिन गुणों में सिंधु हूं। भगवान कहते हैं कि देह सहित देह के सर्व धर्म को त्याग जो मेरी शरण में आते हैं मैं उनको सर्व सुख प्राप्त कराता हूं। यानी सर्व धर्मांनी परित्यज मामेकम शरणम् व्रज। उन्होंने आगे कहा कि यदि जन्म जन्म के पापों से मुक्त होना है तो मेरे सत्य स्वरूप से अपने बुद्धि को टिकाओ तो परम सुख की प्राप्ति करोगे। कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध व्यवसायी एवं समाजसेवी श्री गुलाब शाह जी ने राजयोगिनी कंचन दीदी जी का सम्मान किया साथ में प्रारंभिक आरती संस्था के स्थानीय संचालिका संगिता बहन, मीना बहन, अंजना बहन के नेतृत्व में हुआ ।कार्यक्रम के समापन में धन्यवाद ज्ञापन प्रसिद्ध धार्मिक एवं सामाजिक व्यक्तित्व नीतू झा ने की साथ में कई गणमान्य लोगों ने आज के समाप्ति आरती में भाग लिए साथ-साथ द्वादश ज्योर्तिलिंगम दर्शन मेला कार्यक्रम भी तीसरे दिन चला। कार्यक्रम में सैकड़ो लोगों ने लाभ उठाएं जिसमें मुख्य रूप से एक्साइज जज श्री गोरखनाथ द्विवेदी जी रहे।
मधुबनी (रजनीश के झा)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मधुबनी के द्वारा श्रीमत भागवद्गीता के तृतीय दिन के सत्र में राजयोगिनी बी के कंचन दीदी जी ने बताया कि गीता ज्ञान मानव जीवन में एक नया चेतना का संचार करता है। परमात्मा के द्वारा दिए गए ज्ञान को जीवन में आत्मसात करने से मन और बुद्धि शांत और स्थिर होती है। उन्होंने कहा कि चौथे अध्याय में अर्जुन भगवान से पूछते हैं पहले यह ज्ञान किसको दिया तो भगवान कहते हैं सर्वप्रथम मैंने यह ज्ञान सूर्य को दिया ,सूर्य से यह ज्ञान मनु को प्राप्त हुआ। फिर यह ज्ञान राज ऋषियों तक पहुंचा फिर साधारण जनमानस तक और कालांतर में यह ज्ञान विलुप्त हो चुका है और जब यह ज्ञान लुप्त हो जाता है तब परमात्मा को फिर से आना पड़ता है ।

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