- सूरज की तेज़ी नहीं रोक सकी श्रद्धालुओं का जोश, मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़, हर ओर गूंजे जय श्रीराम और बजरंगबली के जयकारे
भंडारों में उमड़ी भीड़, जनप्रतिनिधियों ने बांटा प्रसाद
हर मोहल्ले, मंदिर और चौक-चौराहों पर श्रद्धालुओं की सेवा में भंडारे लगाए गए। श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया। इस दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधि भी आयोजन स्थलों पर पहुंचे और प्रसाद वितरण में सहभागिता की। रोवनवा प्राचीन हनुमान मंदिर, पांडेयपुर में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में आस्थावानों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर भाजपा के महानगर महामंत्री जगदीश त्रिपाठी, पार्षद मदन मोहन दुबे खजूरी, सचीन सिंह, सोनू राय, अमित सिंह, अजयकांत दुबे, विजय यादव बल्लू, बृजेश दुबे, हरि यादव, हृदय गुप्ता आदि का विशेष योगदान रहा।ग्रामीण अंचलों में भी दिखा उल्लास
सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांवों में भी हनुमान मंदिरों में भव्य धार्मिक आयोजन किए गए। शाम तक मंदिरों में पूजा और भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा।
रोने मात्र से मिल जाता है कष्टों से छुटकारा
कभी अपने आराध्य की रक्षा तो कभी अपने भक्तों का संकट हरने, समय-समय पर बजरंगबली ने कई रुप धरे है। कुछ ऐेसा ही हुआ है तीनों लोकों में न्यारी, सांस्कृतिक धरोहरों की विरासत केन्द्र के साथ खूबसूरत मंदिरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल पर बसी काशी में। काशी के पांडेपुर में विराजमान है प्राचीन हनुमान मंदिर। यहां बजरंगबली हनुमान बिल्कुल छोटे रुप में हैं। लेकिन पूरी आन-बान-शान से स्थापित इस हनुमान मूर्ति देख भक्त तो मोहित हो ही जाते है, केशरी नंदन भी देते है खुशियों का वरदान। कहते है यहां तमाम मुसीबतों से हैरान-परेशान इंसान अगर बजरंगबली के सामने रोते-बिलखते कहता है तो उसकी सारे कष्ट पल में दूर हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें रोअनवा महावीर के नाम से भी जाना जाता है। सवापाव लड्डू की चढ़ावे व हनुमान चालिसा पढ़ने मात्र से ही हो जाते है बजरंगबली प्रसंन। फिर चाहे बात बुरी नजर की हो या शनि के प्रकोप से मुक्ति की। भक्तों को देते है रक्षा कवच, डाक्टर-इंजिनियर, गीत-संगीत व परीक्षा में उत्तीर्ण होने का वरदान। हर मंगलवार और शनिवार को हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं का दर्शन को तांता लगा रहता है। मान्यता है कि जो भक्त अपनी पीड़ा या यू कहे कष्ट को उनके सामने रो-रोकर कहता है उसकी सारी मुसीबत पल भर में दूर हो जाती है। उसे मिल जाता है हर इच्छा पूरी होने का आर्शीवाद। तभी तो यहां सुबह से लेकर शाम तक लगा रहता है भक्तों का जमघट। छात्र हो या व्यापारी हर तबका सुबह जरुर रोअनवा महाबीर को याद कर करता है अपनी दिनचर्या की शुरुवात। कहते है पचकोशी यात्रा के दौरान हर भक्त यहां जरुर ठहरते व रुकते थे। बगैर मंदिर में मत्था टेके उनकी पूरी नहीं होती थी यात्रा। मंदिर के पीछे अखाड़ा हुआ करता, जहां से एक-दो नहीं सैकड़ों पहलवान निकलकर देश में अपना नाम रोशन कर चुके हैं।
.jpg)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें