- मान की पुष्टि तुम जितनी ज्यादा करोगे उतने कमजोर होते चले जाओगे : राहुल सिंह
श्रद्धा भक्ति सेवा समिति की ओर से पंडित सुनील पाराशर ने कहाकि जहां-जहां पर आत्मा है, वहां-वहां ज्ञान विराजमान है। जहां पर ज्ञान है वहां पर अहंकार के परमाणु भी विराजमान हैं। आज ज्ञान पिछड़ रहा है तथा मान हावी होता जा रहा है। आई अर्थात मैं, माई अर्थात मेरा। आई और माई में सिमटा व्यक्ति अपने ज्ञान की ओर जा ही नहीं सकता। जब तक आपके अंदर अहंकार है, तब तक समझना आप अपने अज्ञान रूपी अंधकार को दूर नहीं कर सकते। हम इंसान के रूप में अहंकार का मिथ्या भ्रम पाले हुए हैं। मेरे कारण ही मेरा परिवार चल रहा है। यह घर पल रहा है। अरे आप कौन है, क्या आप नहीं रहेंगे तो आपका परिवार समाप्त हो जाएगा। जीव का पालन उसका कर्म करता है तुम नहीं करते। बाहर की व्यवस्थाओं में तुम लोग इतना उलझ जाते हो कि अंदर की व्यवस्था बिगाड़ लेते हो। मैं और मेरा के कारण ही परिवार संकुचित विचारधारा में बंटता चला जाता है। कार्यक्रम में विशेष अतिथि मनोज दीक्षित मामा ने कहाकि अहंकार, घमंड मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है, क्योंकि यह मनुष्य के सोचने-समझने की क्षमता को हर लेता है। उसकी बुद्धि भ्रष्ट कर देता है। अहंकार से ग्रस्त व्यक्ति अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझता और खुद को सर्वश्रेष्ठ सर्वेसर्वा समझता है। उन्होंने बताया कि शनिवार को हमारे अनुष्ठान का तीसरा दिन है और गुप्त नवरात्रि में भगवती के चंद्रघंटा स्वरूप के दर्शन से धन, ऐश्वर्य, शक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां चंद्रघंटा अपने घंटियों की आवाज से ही असुरों का नाश कर देती हैं। उन्होंने कहा कि जब किसी व्यक्ति के प्राण निकलते हैं तो भगवती उनके कंठ में जाकर घंटी बजाती हैं, जिससे मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवती की पूजा अर्चना करते हैं। जिसकी जैसी मनोकामनाएं होती है भगवती उसे पूरा करती हैं।
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