सारण : प्रशांत किशोर ने CM नीतीश पर किया बड़ा हमला - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 5 जून 2025

सारण : प्रशांत किशोर ने CM नीतीश पर किया बड़ा हमला

  • नीतीश कुमार मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं हैं और बिहार चलाने लायक नहीं है, अगर वे स्वस्थ हैं तो मुझ पर मानहानि का केस करें और कोर्ट में साबित करें कि वे मानसिक रूप से स्वस्थ हैं

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सारण (रजनीश के झा)। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आज सारण में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बड़ा दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंभीर मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं। मुजफ्फरपुर में निर्भया कांड से भी भयावह घटना होती है, लेकिन इस पर राज्य के मुख्यमंत्री की ओर से एक भी बयान नहीं आता। इससे पता चलता है कि नीतीश कुमार मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं। उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे बिहार का नेतृत्व कर सकें। हम पिछले कुछ महीनों से कह रहे हैं कि नीतीश कुमार मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं और सरकार को नीतीश कुमार के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी साझा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम नीतीश कुमार को चुनौती देते हैं कि वे साबित करें कि वे मानसिक रूप से स्वस्थ हैं और मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करें। 


प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी पर किया बड़ा हमला, बोले - बिहार को जानबूझकर मजदूरों का प्रदेश बना कर रखा गया है, ताकि यहां से मजदूर गुजरात की फैक्ट्रियों में जाकर मजदूरी कर सकें

प्रशांत किशोर ने बिहार में पलायन की समस्या पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी पर जोरदार हमला बोला और कहा कि बिहार को जानबूझकर मजदूरों का राज्य बना दिया गया है ताकि यहां के मजदूर गुजरात के फैक्ट्रियों में जाकर मजदूरी कर सकें। उन्होंने पीएम से सवाल पूछा कि पिछले 11 साल के उनके कार्यकाल में बिहार में एक भी फैक्ट्री क्यों नहीं लगी। बड़ी हैरानी की बात है कि कश्मीर हो या तमिलनाडु या गुजरात, बिहार के बच्चे वहां काम कर रहे हैं जबकि ये सभी राज्य बिहार से काफी दूर हैं। ऐसा क्यों है कि पंजाब, हिमाचल के लोग कश्मीर में मजदूर के तौर पर काम नहीं कर रहे हैं। आपने देखा होगा कि तमिलनाडु के फैक्ट्रियों में तमिल मजदूर काम नहीं कर रहे हैं बल्कि बिहार के बच्चे वहां जाकर मजदूरी कर रहे हैं। क्योंकि तमिलनाडु के मजदूर 25 हजार रुपये मांगेंगे और हमारे बच्चे वहां जाकर 12-15 हजार में काम कर रहे हैं। इससे साफ है कि नेताओं ने जानबूझकर बिहार को मजदूरों का राज्य बना दिया है ताकि लेबर बाजार में मजदूरों की दरें कम रहें।

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