उन्होंने पोस्ट में भारतीय दूतावास को भी टैग किया। जैन ने कहा, “यह बेचारा हरियाणवी भाषा में बोल रहा था। मैं उसके उच्चारण को पहचान सकता था, वह कह रहा था ‘मैं पागल नहीं हूं, ये लोग मुझे पागल साबित करने में लगे हुए हैं’।’’ जैन ने एक पोस्ट में कहा कि ये युवा लोग अमेरिका पहुंचते हैं और किसी कारणवश, वे आव्रजन अधिकारियों को अपनी यात्रा का उद्देश्य नहीं बता पाते और उन्हें उसी दिन अपराधियों की तरह बांधकर निर्वासित कर दिया जाता है। जैन ने कहा, ‘‘इस बेचारे बच्चे के माता-पिता को पता ही नहीं होगा कि उसके साथ क्या हो रहा है। भारतीय दूतावास और डॉ. जयशंकर जी, उसे कल रात मेरे साथ एक ही विमान में चढ़ना था, लेकिन वह नहीं चढ़ पाया। किसी को यह पता लगाना चाहिए कि न्यू जर्सी के अधिकारी उसके साथ क्या कर रहे हैं। मैंने पाया कि वह भ्रमित था।’’ जैन की पोस्ट व्यापक रूप से प्रसारित हुयी और सैकड़ों लोगों ने उसे दोबारा पोस्ट किया और उन पर टिप्पणी की। भारत के महावाणिज्य दूतावास ने कहा कि वीडियो ऑनलाइन सामने आने के बाद वह स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है। जैन ने दावा किया कि हर दिन तीन-चार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अब भी यह जानने के लिए उत्सुक हूं कि इस बच्चे के साथ क्या हुआ। क्या वह कभी अपने माता-पिता के पास पहुंचा?’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस बच्चे को उसके माता-पिता से मिलवाने से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। यही मेरी इच्छा है।’’
अमेरिकी हवाई अड्डे पर एक भारतीय युवक के हाथ में हथकड़ी होने, उसके चीखने और उसके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किये जाने का वीडियो बनाने वाले कुणाल जैन ने इस घटना को मानव त्रासदी करार देते हुए कहा कि वह खुद को ‘असहाय और मर्माहत’ महसूस कर रहे हैं। भारतीय-अमेरिकी सामाजिक उद्यमी जैन ने यह वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इस वीडियो में भारतीय व्यक्ति को नेवार्क लिबर्टी इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर दो-तीन पोर्ट अथॉरिटी पुलिस अधिकारियों द्वारा हथकड़ी लगाकर जमीन पर लिटाया गया दिखाया गया है। ‘एक्स’ पर कई पोस्ट में जैन ने कहा कि अमेरिका में भारतीय दूतावास को उस व्यक्ति की मदद करनी चाहिए। जैन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मैंने कल रात नेवार्क हवाई अड्डे पर एक युवा भारतीय छात्र को निर्वासित होते देखा - उसके हाथ में हथकड़ी थी, वह चीख रहा था और उसके साथ अपराधी जैसा व्यवहार किया जा रहा था। वह सपने पूरे करने के लिये आया था, नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं। एक अनिवासी भारतीय (एनआरआई) के रूप में, मैं असहाय और मर्माहत महसूस कर रहा था। यह एक मानवीय त्रासदी है।’’
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