बैंगलोर : आधुनिक इलाज के साथ मरीज के स्वास्थ्य के लिए योग अपनाना श्रेयस्कर : डा. प्रीता रेड्डी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 21 जून 2025

बैंगलोर : आधुनिक इलाज के साथ मरीज के स्वास्थ्य के लिए योग अपनाना श्रेयस्कर : डा. प्रीता रेड्डी

  • अस्पताल विज्ञान व करुणा का समागम

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बैंगलोर, (विजय सिंह)। आज से 200 ईसा पूर्व से 400 ई. के बीच जब पूरी सृष्टि में  सर्वप्रथम अपने देश भारत की पवित्र धरती पर योग जनक महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र की रचना की थी,तब महर्षि ने पूरी मानव जाति की आरोग्यता व भलाई के दृष्टिगत स्वस्थ, संयमित और अनुशासित जीवन जीने की राह दिखाई थी Iशायद तब उन्हें यह भान रहा होगा कि जब कभी भी मानव समाज "अस्वस्थकर आधुनिक जीवन शैली"  के चक्रव्यूह से ऊब कर स्वस्थ मानव जीवन की संपूर्णता को समझेगा, तब यही योग विधा उनको राह दिखाएगी और स्वस्थ जीवन जीने के लिए अनुशासित व संयमित होने को प्रेरित करेगी।


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आज जब,ग्यारहवें विश्व योग दिवस की पूर्व संध्या पर आधुनिक अस्पतालों की प्रमुख श्रृंखला में शामिल अपोलो अस्पताल समूह  की उपाध्यक्ष डा. प्रीता रेड्डी ने यह माना कि प्रत्येक अस्पताल में योग की सुविधा होनी चाहिए,क्योंकि एक अच्छा अस्पताल वही है जहां विज्ञान और करुणा के समागम के साथ मानव जीवन को सटीक, नवाचार और आधुनिक चिकित्सा के चमत्कारों के माध्यम से बचाया जाता है लेकिन इस शक्तिशाली समीकरण में, एक और महत्वपूर्ण पहलु है जिसे हमें कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि उपचार सिर्फ भौतिक नहीं है, यह भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और अंदरुनी गहराईयों का सम्मिश्रण है, तब ऐसा आभाष होना स्वाभाविक है कि शायद अब आम आदमी के साथ साथ आधुनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भी पौराणिक भारतीय सिद्धांतों के प्रति निष्ठा बढ़ रही है I आज पूरा विश्व योग का लोहा मान रहा है, तभी तो 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासंघ की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का  प्रस्ताव रखा तो 193 में से 177 देशों ने इसका जोरदार समर्थन किया, नतीजा यह हुआ कि 11दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने प्रस्ताव पारित कर 21 जून को विश्व योग दिवस की मान्यता प्रदान कर दी और योग दिवस के पहले ही वर्ष 2015 में अकेले दिल्ली में 84 देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बाबा रामदेव के नेतृत्व में 35985 लोगों ने एक साथ योग किया और साल दर साल यह आंकड़े़ा बढ़ता ही गया।


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ताजा आंकड़े बताते हैं कि भारत सहित पूरे विश्व में 300 मिलियन लोग योग करते हैं। रोग मुक्त जीवन जीने,तन व मन को स्वस्थ रखने, तनाव को दूर करने तथा स्वयं को स्वयं से मिलने का अवसर देने को योग का मंत्र बताते हुए टाटा स्टील के अवकाश प्राप्त कर्मचारी जय कुमार अपने फिट रहने का श्रेय योग को ही देते हैं। एक सौ वर्ष तक संपू्र्ण स्वस्थ जीवन बिताकर देवलोक गमन करने वाले "आधुनिक भारत के योग पिता" के नाम से ख्यात कर्नाटक के चित्रदुर्गा में 18 नवम्बर 1888 को जन्में योगाचार्य तिरुमलाई कृष्णामाचार्य ने स्वस्थ मानव समाज की स्थापना के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दियाI तभी तो आज भारत की प्राचीन योग शक्ति परंपरा को अमेरिका, इंगलैंड, जापान, आस्ट्रेलिया समेत पूरा विश्व स्वस्थ जीवन के लिए आत्मसात कर रहा है। रिटायर्ड बैंक अधिकारी उपाध्याय कहते हैं कि वे विगत 40 वर्षों से योग कर रहे हैं और इसीलिए उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से हमेशा स्वस्थ रहने की ताकत मिलती है। जहां लोग योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को देते हैं,वहीं आम जनमानस में योग को लोकप्रिय बनाने में स्वामी रामदेव के योगदान को भी याद रखना चाहिए।


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प्रीता रेड्डी स्वीकार करती हैं कि समय की मांग है कि हम योग के विचार को "विकल्प" के रूप में अपनाएं। आज के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में, यह स्पष्ट है कि योग समग्र, एकीकृत देखभाल में सहायक हैI उनका कहना है कि अपोलो में, हम हमेशा व्यक्ति के व्यवस्थित इलाज में विश्वास करते हैं। आधुनिक चिकित्सा तीव्र और लक्षित इलाज करती है,पर योग हमें शरीर की तंदुरुस्तीकरण की लय को गति देता है। यह बीमारी, सर्जरी या आघात के बाद पुनर्गठित करने के लिए एक उम्दा संरक्षण प्रदान करता है I वे कहती हैं कि  योग एक इलाज नहीं हो सकता है, लेकिन यह शारीरिक मौलिकता को बहाल करने में सहायक हो सकता है। डा. प्रीता कहती हैं कि योग केवल रोगियों के लिए नहीं है। डॉक्टरों, नर्सों और मरीजों की देखभाल करने वालों के जीवन में योग की गहन भूमिका है - ऐसे व्यक्ति जो रोजाना तनाव को अवशोषित करते हैं, अक्सर बिना रुके। उन सभी लोगों के लिए योग काफी सहायक हो सकता है I अस्पतालों को आधुनिक मेडिकल विज्ञान के साथ आगे बढ़ना जारी रखना चाहिए, लेकिन हीलिंग के मुद्दे पर कला और विज्ञान दोनों में सामंजस्य जरुरी है। योग हमें उसी संतुलन की ओर इंगित करता है।

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