नई दिल्ली (रजनीश के झा)। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बिहार में बड़े पैमाने पर ताड़ के पेड़ों की कटाई को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है। बिहार में ताड़ के पेड़ों की कटाई के कारण कथित तौर पर बिजली गिरने से मौत के मामलों में वृद्धि हुई है। एनजीटी ताड़ के पेड़ों की कथित तौर पर बड़े पैमाने पर कटाई को लेकर एक अखबार की खबर का स्वत: संज्ञान लेकर एक मामले की सुनवाई कर रहा था। पेड़ों की कटाई सीधे तौर पर बिजली गिरने से होने वाली मौत में तेज वृद्धि से जुड़ी है। बिहार में 2016 के बाद से बिजली गिरने से 2,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है। एनजीटी के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने पांच जून को दिए आदेश में कहा, ‘‘समाचार के अनुसार, दर्जनों ऊंचे ताड़ के पेड़ों को गिराया जा रहा है, जिससे बिजली गिरने की घटनाएं अधिक हो रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप मौत के मामले सामने आ रहे हैं।’’ एनजीटी ने सीपीसीबी, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय और बिहार आपदा प्रबंधन विभाग को पक्ष या प्रतिवादी बनाया। अधिकरण ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई सात अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
रविवार, 22 जून 2025
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बिहार में पेड़ों की कटाई के कारण बिजली गिरने से होने वाली मौत में वृद्धि, एनजीटी ने जारी किए नोटिस
बिहार में पेड़ों की कटाई के कारण बिजली गिरने से होने वाली मौत में वृद्धि, एनजीटी ने जारी किए नोटिस
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