मीडिया में बने रहने और मिशनरी कर्ताधर्ताओं के सामने चमकने के लिए समय समय पर अखिल भारतीय ईसाई परिषद, यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम और अन्य संगठनों के द्वारा कहा जाता रहा है कि पिछले दस वर्षों में चर्चों पर हमलों, प्रार्थना सभाओं में तोड़फोड़, और पादरियों की गिरफ्तारी की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. संगठनों का कहना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है.जबकि ईसाई नेता राजन का कहना है कि प्रधानमंत्री जी दिल्ली के गिरजाघर में जाते हैं और आर्चबिशप से मिलकर वार्तालाप करते हैं. वहीं भाजपा ने इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताते हुए कहा है कि उनकी सरकार सबका साथ, सबका विकास की नीति पर चल रही है और किसी भी धर्म के खिलाफ भेदभाव नहीं किया जाता है.भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “देश में कानून का राज है. यदि कोई घटना घटती है, तो उस पर स्थानीय प्रशासन कार्रवाई करता है.यह कहना गलत है कि सरकार किसी एक धर्म के विरुद्ध है.”
पटना, (आलोक कुमार). यह आरोप ईसाई समुदाय के द्वारा लगाया जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में ईसाइयों पर हमले बढ़े है. बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष राजन क्लेमेंट साह ने खुद ईसाई होकर आरोप को खारिज कर रहे हैं हम अल्पसंख्यक को निशाना बनाया जा रहा है. भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं, तथा विगत कई वर्षों से अल्पसंख्यकों, खासकर ईसाई समुदाय के हितों की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं.इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में ईसाई समुदाय पर हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है.यह गंभीर आरोप देश के तथाकथित ईसाई संगठनों और धार्मिक नेताओं के द्वारा लगाया जाता हैं.

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