उन्होंने कहा कि 5 साल में 4.8 साल जनता को लूटो और चुनाव के दो महीने पहले बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर दो — यही भाजपा-जदयू का फार्मूला बन गया है.लेकिन बिहार की जनता अब इतनी भोली नहीं है। वह समझ चुकी है कि यह केवल सत्ता में बने रहने की साजिश है, न कि जनता की भलाई के लिए कोई गंभीर योजना। कुणाल ने यह भी याद दिलाया कि भाकपा(माले) के विधायकों ने बार-बार विधानसभा से लेकर सड़कों तक आवाज उठाई है —स्मार्ट मीटरों को हटाने,सभी जरूरतमंद परिवारों को कम से कम 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने, और बिजली को निजी कंपनियों के चंगुल से मुक्त करने की. उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन अपने हर वादे और संकल्प पर गंभीरता से कायम है. केवल घोषणा नहीं, बल्कि ज़मीन पर बदलाव लाना ही हमारा लक्ष्य है. प्रेस वक्तव्य के अंत में उन्होंने पटना के पारस अस्पताल में दिनदहाड़े की गई हत्या की कड़ी निंदा की और कहा कि बिहार की राजधानी अब अपराध की राजधानी में तब्दील हो चुकी है.अपराधी बेलगाम हैं और शासन-प्रशासन मूक दर्शक बना बैठा है. उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि बिहार की जनता इस निकम्मी और लुटेरी सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाए। जनता ने बदलाव का मन बना लिया है और माले समेत INDIA गठबंधन इस बदलाव की लड़ाई में मजबूती से साथ है.
पटना, (आलोक कुमार). भाकपा (माले) के राज्य सचिव कॉ. कुणाल ने कहा है कि चुनाव आते ही भाजपा-जदयू गठबंधन ने एक बार फिर जुमलों की झड़ी लगा दी है, लेकिन इस बार बिहार की जागरूक जनता इन झूठे वादों के जाल में फंसने वाली नहीं है.उन्होंने कहा कि बिजली दरों के मामले में बिहार देश का सबसे महंगा राज्य बना हुआ है. ऊपर से स्मार्ट मीटरों ने आम जनता की कमर तोड़ दी है.पूरे राज्य में लोग फर्जी बिजली बिल, अनाप-शनाप चार्ज और जबरन वसूली से त्रस्त रहे हैं. स्मार्ट मीटरों के अनुभव से इतने लोग दुखी हैं कि उन्होंने इसे सही ही नाम दिया है — "खून चुसवा मीटर".आज भी हजारों लोग बिजली विभाग के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन न सुनवाई है, न राहत. कॉ. कुणाल ने तंज कसते हुए कहा कि अब जब भाजपा-जदयू गठबंधन को अपनी हार सामने नजर आ रही है, तो इन्होंने फिर से एक नया जुमला फेंका है — हर परिवार को 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने का.साथ ही दावा किया जा रहा है कि 2025 से 2030 के बीच एक करोड़ रोजगार दिए जाएंगे। सवाल है कि जब हर साल दो करोड़ रोजगार का वादा करके सत्ता में आए थे, तो पिछले 10 साल में 20 करोड़ रोजगार कहां गए?

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